माँ स्कंदमाता, शांति, समृद्धि, आशीर्वाद।
नवरात्रि का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित होता है। माँ अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। माँ स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन में संतोष, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
🚩 दुर्गा आरती 🚩
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी...
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दो नयन, चंद्र बदन नीको।।
जय अम्बे गौरी...
कनक समान कांति, अम्बा ललसा है।
देवी जगत जननी, मंगल मूर्ति दासा है।।
जय अम्बे गौरी...
चंद्र घेरि कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत, समरत ज्योति।।
जय अम्बे गौरी...
शुम्भ निशुम्भ बिधारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोकन नेत्र, सिंहासन विराजती।।
जय अम्बे गौरी...
रक्तदंतिका रक्ता, चामुण्डा मति भारी।
प्रलयकाल सब नाशन, तुम्ही जग की स्वारी।।
जय अम्बे गौरी...
शिवरी तुम ही जग की माता, तुम ही हो भवानी।
भक्त जनों की रक्षा करती, संकट हरणी।।
जय अम्बे गौरी...
जो कोई तुमको ध्यावत, ध्यावत है प्राणी।
फल पावत वह निशिदिन, सुख-समृद्धि वानी।।
जय अम्बे गौरी...
आरती अम्बे की जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-समृद्धि पावे।।
जय अम्बे गौरी...
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नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्मांडा को समर्पित है। यह देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं, जिन्होंने अपनी दिव्य और मंद मुस्कान से इस ब्रह्मांड की रचना की थी। नवरात्रि का तीसरा दिन शांति, साहस और निर्भीकता की प्रतीक मां चंद्रघंटा की आराधना को समर्पित है।माँ दुर्गा
नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी के पूजन और दर्शन के लिए समर्पित होता है।
नवरात्रि का पहला दिन दुर्गा माँ के शैलपुत्री स्वरूप के दर्शन 💖
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नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी के पूजन और दर्शन के लिए समर्पित होता है।
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🚩 दुर्गा आरती 🚩
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी...
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दो नयन, चंद्र बदन नीको।।
जय अम्बे गौरी...
कनक समान कांति, अम्बा ललसा है।
देवी जगत जननी, मंगल मूर्ति दासा है।।
जय अम्बे गौरी...
चंद्र घेरि कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत, समरत ज्योति।।
जय अम्बे गौरी...
शुम्भ निशुम्भ बिधारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोकन नेत्र, सिंहासन विराजती।।
जय अम्बे गौरी...
रक्तदंतिका रक्ता, चामुण्डा मति भारी।
प्रलयकाल सब नाशन, तुम्ही जग की स्वारी।।
जय अम्बे गौरी...
शिवरी तुम ही जग की माता, तुम ही हो भवानी।
भक्त जनों की रक्षा करती, संकट हरणी।।
जय अम्बे गौरी...
जो कोई तुमको ध्यावत, ध्यावत है प्राणी।
फल पावत वह निशिदिन, सुख-समृद्धि वानी।।
जय अम्बे गौरी...
आरती अम्बे की जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-समृद्धि पावे।।
जय अम्बे गौरी...
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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी...
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दो नयन, चंद्र बदन नीको।।
जय अम्बे गौरी...
कनक समान कांति, अम्बा ललसा है।
देवी जगत जननी, मंगल मूर्ति दासा है।।
जय अम्बे गौरी...
चंद्र घेरि कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत, समरत ज्योति।।
जय अम्बे गौरी...
शुम्भ निशुम्भ बिधारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोकन नेत्र, सिंहासन विराजती।।
जय अम्बे गौरी...
रक्तदंतिका रक्ता, चामुण्डा मति भारी।
प्रलयकाल सब नाशन, तुम्ही जग की स्वारी।।
जय अम्बे गौरी...
शिवरी तुम ही जग की माता, तुम ही हो भवानी।
भक्त जनों की रक्षा करती, संकट हरणी।।
जय अम्बे गौरी...
जो कोई तुमको ध्यावत, ध्यावत है प्राणी।
फल पावत वह निशिदिन, सुख-समृद्धि वानी।।
जय अम्बे गौरी...
आरती अम्बे की जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-समृद्धि पावे।।
जय अम्बे गौरी...
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नवरात्रि का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित होता है। माँ अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। माँ स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन में संतोष, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
नवरात्रि का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित होता है। माँ अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। माँ स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन में संतोष, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
माँ स्कंदमाता, शांति, समृद्धि, आशीर्वाद।
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