लागी कलेजवाँ कटार | Lagi Kalejva Katar | Devaki Pandit

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लागी कलेजवाँ कटार
साँवरिया से नैना हो गये चार ॥

बूँद ना गिरा एक लहू का
कछु ना रही निसानी
मन घायल पर तन पे छायी
मीठी टीस सुहानी
सखी री मैं तो सुध-बुध बैठी बिसार ॥

प्रीत की रीत सखी ना जानू
जीत हुई या हार ना मानू
जियरा करे इकरार अब मोरा ॥

संगीत - पं. जितेंद्र अभिषेकी
स्वर - देवकी पंडित
राग - पहाडी
( कार्यक्रम 'नक्षत्रांचे देणे'साठी )

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