#ShivAmruthkatha
#श्री शिवाय नमस्तुभ्यं लिखने का महत्व जानिये # पंडित प्रदीप जी मिश्रा
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं लिखने का महत्व जानिए,
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम लिखने का महत्व,
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम हाथ से लिखने का महत्व क्या है,
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का महत्व क्या है,
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं इस मंत्र से क्या फायदा है,
शिवलिंग पर घी से ॐ लिखने का महत्व जानिए
घर के दरवाजे पर चंदन से लिखे श्री शिवाय नमस्तुभ्यं,
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं बोलने से क्या फायदा होता है
आपने जो पूछा — "‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ लिखने का महत्व जानिए" — वह बहुत गूढ़ और पवित्र प्रश्न है। यह मंत्र जितना छोटा है, उतना ही शक्तिशाली और अर्थपूर्ण भी है।
🔱 "श्री शिवाय नमस्तुभ्यं" — अर्थ और महत्व
श्री = मंगल, ऐश्वर्य, शक्ति (यहाँ देवी शक्ति या पार्वती का भी संकेत)
शिवाय = भगवान शिव को (द्वितीया विभक्ति)
नमः = प्रणाम, नमस्कार
तुभ्यं = आपको
👉🏻 पूरा अर्थ:
"हे भगवान शिव! आपको मेरा नमस्कार है।"
(या: “हे शिवजी! आपको सादर प्रणाम।”)
🌟 महत्व और लाभ
1. 🧘♂️ शिव की कृपा प्राप्त होती है
इस मंत्र को श्रद्धा से लिखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
यह मंत्र शिव ध्यान, व्रत, या जप से पहले या बाद में भी बोला जाता है।
2. ✍️ जप लेखन (लिखना) से मन एकाग्र होता है
जब आप “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” को बार-बार लिखते हैं, तो:
मन एकाग्र होता है
नकारात्मक विचार दूर होते हैं
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
यह एक प्रकार का ध्यान (Meditation) बन जाता है
3. 📖 लेखन साधना (लिपि तपस्या) का एक रूप
शास्त्रों में कहा गया है:
"लेखनं तपः स्मृतम्" — अर्थात मंत्र लेखन भी तपस्या के समान है।
जब आप 108 बार, 1008 बार, या 11,000 बार यह मंत्र लिखते हैं, तो वह आपकी आत्मा और चेतना को पवित्र करता है।
4. 🧘♀️ संतान प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति और मानसिक शांति
जो स्त्री या पुरुष सच्चे मन से यह मंत्र लिखते हैं, उन्हें:
संतान प्राप्ति में बाधा दूर होती है
मनोकामना पूर्ण होती है
अनावश्यक विचार और क्रोध शांत होता है
📿 कैसे लिखें? (विधि)
नियम विवरण
दिन सोमवार, महाशिवरात्रि, प्रदोष, या कोई भी दिन
संख्या 108 बार से शुरू करें, फिर 1008 या अधिक
माध्यम सफेद कागज + नीली/काली स्याही, या कॉपी
वातावरण शांत स्थान, शिव ध्यान के साथ
भावना शिव को समर्पण, मनोकामना सहित या बिना
🪔 मंत्र लेखन की शक्ति
जब वाणी से जप किया जाता है, वह हवा में गूंजता है।
जब लेखनी से जप होता है, वह आत्मा में अंकित होता है।
🔚 निष्कर्ष:
"श्री शिवाय नमस्तुभ्यं" लिखना:
एक सच्ची भक्ति की क्रिया है
एक शक्तिशाली साधना है
और एक पवित्र मन की अभिव्यक्ति है
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