घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम,2005 | महिला और बाल अपराध राजस्थान पुलिस | Er narender Sir
भूमिका :-
घरेलू दायरे में हिंसा को घरेलू हिंसा कहा जाता है। किसी महिला का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मौखिक, मनोवैज्ञानिक या यौन शोषण किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाना जिसके साथ महिला के पारिवारिक सम्बन्ध हैं, घरेलू हिंसा में शामिल है।
घरेलू हिंसा की कानूनी परिभाषा:-
“घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिला संरक्षण अधिनियम की धारा, 2005” घरेलू हिंसा को पारिभाषित किया गया है -“प्रतिवादी का कोई बर्ताव, भूल या किसी और को काम करने के लिए नियुक्त करना, घरेलू हिंसा में माना जाएगा –
क्षति पहुँचाना या जख्मी करना या पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य, जीवन, अंगों या हित को मानसिक या शारीरिक तौर से खतरे में डालना या ऐसा करने की नीयत रखना और इसमें शारीरिक, यौनिक, मौखिक और भावनात्मक और आर्थिक शोषण शामिल है; या
दहेज़ या अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की अवैध मांग को पूरा करने के लिए महिला या उसके रिश्तेदारों को मजबूर करने के लिए यातना देना, नुक्सान पहुँचाना या जोखिम में डालना ; या
पीड़ित या उसके निकट सम्बन्धियों पर उपरोक्त वाक्यांश (क) या (ख) में सम्मिलित किसी आचरण के द्वारा दी गयी धमकी का प्रभाव होना; या
पीड़ित को शारीरिक या मानसिक तौर पर घायल करना या नुक्सान पहुँचाना”
शिकायत किया गया कोई व्यव्हार या आचरण घरेलू हिंसा के दायरे में आता है या नहीं, इसका निर्णय प्रत्येक मामले के तथ्य विशेष के आधार पर किया जाता है।
व्यथित व्यक्ति कौन है?:-
इस क़ानून के पूरे लाभ को लेने के लिए यह समझना ज़रूरी है कि ‘व्यथित व्यक्ति’ अथवा पीड़ित कौन है। यदि आप एक महिला हैं और कोई व्यक्ति (जिसके साथ आप घरेलू नातेदारी में हैं) आपके प्रति दुर्व्यवहार करता है तो आप इस अधिनयम के तहत पीड़ित या ‘व्यथित व्यक्ति’ हैंlचूँकि इस कानून का उद्देश्य महिलाओं को घरेलू नातेदारी से उपजे दुर्व्यवहार से संरक्षित करना है, इसलिए यह समझना भी ज़रूरी है की घरेलू नातेदारी या सम्बंध क्या हैं और कैसे हो सकते हैं? ‘घरेलू नातेदारी’ का आशय किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच के उन सम्बन्धों से है, जिसमें वे या तो साझी गृहस्थी में एक साथ रहते हैं या पहले कभी रह चुके हैं। इसमें निम्न सम्बंध शामिल हो सकते हैं:
रक्तजनित सम्बन्ध (जैसे माँ- बेटा, पिता- पुत्री, भाई- बहन, इत्यादि)
विवाहजनित सम्बन्ध(जैसेपति-पत्नी,सास-बहू,ससुर-बहू, देवर-भाभी, ननद परिवार, विधवाओं के सम्बन्ध या विधवा के परिवार के अन्य सदस्यों सेसम्बन्ध)
दत्तकग्रहण/गोदलेने से उपजे सम्बन्ध(जैसे गोद ली हुई बेटी और पिता)
शादी जैसे रिश्ते (जैसे लिव-इन सम्बन्ध,कानूनी तौर पर अमान्य विवाह (उदाहरण के लिए पति ने दूसरी बार शादी की है,अथवापति और पत्नी रक्त आदि से संबंधित हैं और विवाह इस कारण अवैध है))
(घरेलू नातेदारी के दायरे में आने के लिए ज़रूरी नहीं कि दो व्यक्ति वर्तमान में किसी साझा घर में रह रहे हों;मसलन यदि पति ने पत्नी को अपने घर से निकाल दियातो यह भी एक घरेलू नातेदारी के दायरे में आएगा। )
व्यथित व्यक्ति के अधिकार:-
इस अधिनियम को लागू करने की ज़िम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है, उनके इस कानून के तहत कुछ कर्तव्य हैं जैसे- जब किसी पुलिस अधिकारी, संरक्षण अधिकारी, सेवा प्रदाता या मजिस्ट्रेट को घरेलू हिंसा की घटना के बारे में पता चलता है, तो उन्हें पीड़ित को निम्न अधिकारों के बारे में सूचित करना है:
पीड़ित इस कानून के तहत किसी भी राहत के लिए आवेदन कर सकती है जैसे कि - संरक्षण आदेश,आर्थिक राहत,बच्चों के अस्थाई संरक्षण (कस्टडी) का आदेश,निवास आदेश या मुआवजे का आदेश
पीड़ित आधिकारिक सेवा प्रदाताओं की सहायता ले सकती है
पीड़ित संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकती है
पीड़ित निशुल्क क़ानूनी सहायता की मांग कर सकती है
पीड़ित भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत क्रिमिनल याचिका भी दाखिल कर सकती है, इसके तहत प्रतिवादी को तीन साल तक की जेल हो सकती है, इसके तहत पीड़ित को गंभीर शोषण सिद्ध करने की आवश्यकता हैl
इसके अलावा,राज्य द्वारा निर्देशित आश्रय गृहों और अस्पतालों की ज़िम्मेदारी है कि उन सभी पीड़ितों को रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान और चिकित्सा सहायता प्रदान करे जो उनके पास पहुंचते हैं। पीड़ित सेवा प्रदाता या संरक्षण अधिकारी के माध्यम से इन्हें संपर्क कर सकती हैl
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