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Скачать или смотреть माँ कालिका का विशेष पूजा विधान मंत्रों के साथ | आद्या कालिका जयंती अगस्त 15, 2025

  • Journeys with Maa
  • 2025-08-14
  • 1930
माँ कालिका का विशेष पूजा विधान मंत्रों के साथ | आद्या कालिका जयंती अगस्त 15, 2025
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Описание к видео माँ कालिका का विशेष पूजा विधान मंत्रों के साथ | आद्या कालिका जयंती अगस्त 15, 2025

काली जयन्ती शुक्रवार, अगस्त 15, 2025 को
निशिता पूजा समय - 12:00 ए एम से 12:43 ए एम, अगस्त 16
अवधि - 00 घण्टे 43 मिनट्स
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 15, 2025 को 11:49 पी एम बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - अगस्त 16, 2025 को 09:34 पी एम बजे

Panchang: https://www.drikpanchang.com/hindu-go...

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भगवती कालिका
(सामान्य पूजा विधि)
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Source: Kali Tantra Shastra

भगवती कालिका की पूजा विधि। यहाँ अलग अलग उपचारों से भगवती की पूजा की गई है। किस किस वस्तु को अर्पित करते समय कौन सा मंत्र बोलना है ये भी बताया गया है।

पूजा के लिए नहा धो कर, साफ-धुला हुआ वस्त्र पहन कर, पवित्र आसन पर बैठें तथा देवी के पूजा-यन्त्र या विग्रह को चौकी आदि पर अपने सामने रखकर, सबसे पहले ध्यान करें ।

सामान्य-पूजा में निम्नलिखित मन्‍त्रों द्वारा भगवती का ध्यान करना चाहिए -

ध्यान-मंत्र :
या कालिका रोगहरा सुवन्द्या
र्वश्यै: समस्तैवर्यवहारदक्षै:
जनैर्जनानां भयहारिणी च
सा देवमाता मयि सौख्यदात्री ॥१॥

हिंदी भावार्थ: हे कालिका! आप रोग, भय और संकट का नाश करती हैं, सभी के लिए वंदनीय हैं और भक्तों के जीवन में सुख भरने वाली हैं। जैसे आप समस्त संसार के रक्षक देवों की भी माता हैं, वैसे ही मुझ पर भी मातृस्नेह बरसाएँ।

या माया प्रकृति: शक्ति श्चण्डमुण्ड विमर्दिनी
सा पृज्या सर्वदेवैश्च ह्यस्माकं वरदाभव ॥२॥

हिंदी भावार्थ: आप ही वह प्रकृति हैं, वह परमशक्ति, जिन्होंने असुर चण्ड-मुण्ड का विनाश किया। समस्त देवता आपको पूजते हैं— हम भी आपके चरणों में यह व्रत रखते हैं कि आप हमें वरदान प्रदान करें।

विश्वेश्वरि त्वं परिपाल्य विश्वं
विश्वात्मिका धारयतीति विश्वम्।
विश्वेशवन्द्याभवती भवन्ति
विश्वाश्रया ये त्वयि भक्तिनम्राः॥३॥

हिंदी भावार्थ: हे विश्वेश्वरी! आप इस सृष्टि का पालन-पोषण करने वाली हैं, आप ही उसकी आत्मा हैं। आपमें भक्ति रखने वाला हर कोई आपके संरक्षण में निश्चिंत रहता है और विश्वेश्वर तक भी आपका वंदन करते हैं।

देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोऽरिवलस्य
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं
त्वामीश्वरी देवि चराचरस्य ॥४॥

हिंदी भावार्थ: हे देवी! हम आपके शरणागत हैं— हमारी पीड़ा हरिए, शत्रुओं का संहार कीजिए और चर-अचर जगत की रक्षा कीजिए। आप ही सृष्टि की परमाधिष्ठात्री हैं।

या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि
श्रद्धां सतां कुलजन प्रभवश्य लज्जा
तां त्वां नतास्म परिपालय देवि विश्वम् ॥५॥

हिंदी भावार्थ: हे देवी! आप पुण्यात्माओं के घर में लक्ष्मी बनकर, पापियों के लिए दुर्भाग्य बनकर और सज्जनों में श्रद्धा रूप में निवास करती हैं। आप ही लज्जा और मर्यादा की अधिष्ठात्री हैं। हम आपको नमन करते हैं— कृपया इस संसार की रक्षा कीजिए।

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