🪔 धनतेरस क्यों मनाई जाती है? धनतेरस की पौराणिक कथा और महत्व | Dhanteras Katha in Hindi | Diwali 2025 Special
धनतेरस का त्योहार दीपावली के पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन घर-घर में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं, मां लक्ष्मी और भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे कौन सी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है? आइए जानते हैं धनतेरस का इतिहास, कथा, महत्व और पूजा विधि विस्तार से।
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🌼 धनतेरस का अर्थ और नाम का रहस्य
‘धनतेरस’ शब्द दो भागों से बना है – ‘धन’ और ‘तेरस’।
‘धन’ का अर्थ है समृद्धि, वैभव और धन-धान्य, जबकि ‘तेरस’ का अर्थ है कार्तिक कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि।
इस दिन धन के देवता कुबेर, स्वास्थ्य के देवता धनवंतरि, और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी की आराधना की जाती है।
कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान धनवंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा करता है, उसके घर में कभी धन और स्वास्थ्य की कमी नहीं होती।
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📖 धनतेरस की पौराणिक कथा (Dhanteras Katha in Hindi)
प्राचीन काल में हिमालय नामक राजा की एक पुत्री थी, जिसका नाम यमुनादेवी था। जब उसकी शादी तय हुई, तो ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की कि उसके पति की मृत्यु विवाह के चौथे दिन सर्पदंश से हो जाएगी।
यह सुनकर यमुनादेवी बहुत दुखी हुई, परंतु वह भगवान से निरंतर प्रार्थना करती रही।
विवाह के चौथे दिन जब उसका पति सो रहा था, तो यमुनादेवी ने उसके चारों ओर सोने-चांदी के आभूषणों और दीपकों का ढेर लगा दिया। उसने रात भर दीप जलाए और भगवान यमराज की स्तुति की।
जब यमराज सर्प का रूप लेकर उसके पति को लेने आए, तो उन दीपों की रोशनी और सोने के तेज से उनकी आंखें चकाचौंध हो गईं।
वे वहां पहुंच तो गए, परंतु उस समय पति-पत्नी के भक्ति भाव से प्रभावित होकर उन्होंने उसका जीवन दान कर दिया।
उस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी थी — तभी से यह दिन यम दीपदान और धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा।
यह दिन यमराज को प्रसन्न करने, अकाल मृत्यु से बचने और धन-संपत्ति की वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
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🌿 भगवान धनवंतरि की उत्पत्ति कथा
एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार — जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब समुद्र से चौदह रत्न निकले।
उन्हीं में से एक रत्न थे भगवान धनवंतरि, जो अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
भगवान धनवंतरि को ही आयुर्वेद के जनक और स्वास्थ्य के देवता माना जाता है।
इसी कारण से धनतेरस को धनवंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन आयुर्वेदाचार्य और वैद्य भगवान धनवंतरि की पूजा करते हैं और लोगों को दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं।
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🕯️ धनतेरस पर दीपदान का महत्व
धनतेरस की शाम को लोग अपने घरों के द्वार पर दक्षिण दिशा में यम दीप जलाते हैं।
यह दीप यमराज को समर्पित होता है ताकि घर के सदस्यों को अकाल मृत्यु का भय न रहे।
यह दीप अक्सर सरसों के तेल का बनाया जाता है और घर के मुख्य द्वार के बाहर रखा जाता है।
कहा जाता है कि यम दीपदान से न केवल जीवन में सुरक्षा बढ़ती है बल्कि घर की नकारात्मक ऊर्जा भी समाप्त हो जाती है।
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💰 धनतेरस पर खरीदारी का महत्व
भारत में धनतेरस का सबसे प्रमुख रिवाज है — सोना, चांदी, तांबा, बर्तन या झाड़ू खरीदना।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु सालभर शुभ फल देती है।
यह परंपरा भी पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी नई चीज खरीदी जाती है, उसमें माता लक्ष्मी का निवास होता है।
इसलिए लोग नए बर्तन या धन-संपत्ति घर लाते हैं और “शुभ लाभ” की शुरुआत करते हैं।
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🪙 धनतेरस की पूजा विधि
धनतेरस की पूजा सांयकाल के समय शुभ मुहूर्त में की जाती है।
इस दिन निम्न प्रकार से पूजा की जाती है —
1. घर की साफ-सफाई करें और दरवाजे पर रंगोली बनाएं।
2. उत्तर या पूर्व दिशा में भगवान धनवंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
3. तिलक करें, धूप-दीप जलाएं और पूजन सामग्री सजाएं।
4. दीप जलाकर "ॐ धं धनवंतरये नमः" का जाप करें।
5. कुबेर देवता को चांदी के सिक्कों और पुष्पों से पूजें।
6. शाम के समय दक्षिण दिशा में यम दीप जलाएं।
7. अंत में आरती करें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।
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🌸 धनतेरस का वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व
धनतेरस का अर्थ केवल धन प्राप्ति नहीं बल्कि स्वास्थ्य, सद्भाव और सकारात्मकता का प्रतीक भी है।
कार्तिक मास में वातावरण शुद्ध होता है, और इस दिन दीप जलाने से वायु में मौजूद जीवाणु नष्ट होते हैं।
साथ ही यह त्योहार सफाई और सजावट का भी प्रतीक है, जिससे घर में नई ऊर्जा आती है।
समाज में यह पर्व दान और सेवा भावना को भी बढ़ाता है।
इस दिन गरीबों को वस्त्र, दीपक या अनाज दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
धनतेरस हमें सिखाता है कि सच्चा धन केवल सोना-चांदी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, परिवार और सुख-शांति है।
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🌼 धनतेरस से जुड़ी अन्य मान्यताएं
कई स्थानों पर यह भी कहा जाता है कि धनतेरस की रात लक्ष्मी जी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।
जो घर साफ-सुथरा और प्रकाशित होता है, वहां वे प्रवेश करती हैं।
इसलिए लोग इस दिन अपने घरों को दीपों से जगमगाते हैं और लक्ष्मी माता का स्वागत करते हैं।
कुबेर और लक्ष्मी जी की संयुक्त पूजा से घर में धन और वैभव बढ़ता है।
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🌠 धनतेरस और आधुनिक युग
आज के समय में धनतेरस सिर्फ पूजा का दिन नहीं रहा, बल्कि समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक बन चुका है।
लोग इस दिन नई चीजें खरीदकर अपने व्यवसाय या जीवन में शुभारंभ करते हैं।
ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल भुगतान के इस युग में भी धनतेरस का आध्यात्मिक महत्व उतना ही गहरा है जितना सदियों पहले था।
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💫 धनतेरस का संदेश
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