क्या हम अपने पाप-कर्म के बंधन को काट सकते है ? - श्रीमान प्रशांत मुकुंद प्रभु - BG 2.39

Описание к видео क्या हम अपने पाप-कर्म के बंधन को काट सकते है ? - श्रीमान प्रशांत मुकुंद प्रभु - BG 2.39

भगवद गीता अध्याय ०२ श्लोक ३९ श्रीमान प्रशांत मुकुंद प्रभु Bhagavad Gita Chapter 02 Text 39

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