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Скачать или смотреть D.K. BASU vs UNION OF INDIA || LANDMARK CASE LAWS || MADHAV LAW ACADEMY

  • Madhav Law Academy
  • 2024-05-24
  • 198
D.K. BASU vs UNION OF INDIA || LANDMARK CASE LAWS || MADHAV LAW ACADEMY
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Описание к видео D.K. BASU vs UNION OF INDIA || LANDMARK CASE LAWS || MADHAV LAW ACADEMY

डी.के. बासु बनाम भारत संघ का मामला (सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया)**

नमस्कार, माधव लॉ एकेडमी में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे एक महत्वपूर्ण मामले की, जिसने भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया। यह मामला है डी.के. बासु बनाम भारत संघ का। आइए जानते हैं इस केस के बारे में विस्तार से।

यह मामला 1997 में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया द्वारा निर्णय लिया गया था। इस मामले की शुरुआत 1986 में पश्चिम बंगाल के एक सामाजिक कार्यकर्ता, डी.के. बासु द्वारा की गई थी। उन्होंने एक पत्र लिखकर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश को पुलिस हिरासत में होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ध्यान दिलाया था।

डी.के. बासु ने अपने पत्र में कई उदाहरण दिए, जहां पुलिस हिरासत में लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उन्होंने इस पर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की। मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र को एक रिट याचिका के रूप में स्वीकार किया और इस पर सुनवाई शुरू की।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई की और 1997 में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। इस निर्णय में कोर्ट ने पुलिस हिरासत में मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए। इन दिशा-निर्देशों को 'डी.के. बासु गाइडलाइंस' के नाम से जाना जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:

1. **गिरफ्तारी का मेमो**: गिरफ्तारी के समय एक मेमो तैयार करना अनिवार्य है, जिसमें गिरफ्तारी का समय और तारीख दर्ज होनी चाहिए और इसे गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार या मित्र को सौंपना चाहिए।

2. **गिरफ्तारी का सूचनादान**: गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार या मित्र को तुरंत गिरफ्तारी की सूचना दी जानी चाहिए।

3. **स्वास्थ्य जांच**: गिरफ्तार व्यक्ति की हर 48 घंटे में स्वास्थ्य जांच होनी चाहिए और इसकी रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए।

4. **ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुतिकरण**: गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है।

ये दिशा-निर्देश पुलिस हिरासत में होने वाले अत्याचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। डी.के. बासु बनाम भारत संघ का मामला भारतीय न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसने पुलिस हिरासत में मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान किया।

तो ये था डी.के. बासु बनाम भारत संघ का मामला। उम्मीद है, आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। धन्यवाद।
𝐏𝐥𝐚𝐲𝐥𝐢𝐬𝐭 𝐟𝐨𝐫 IPC (Indian Penal Code) Top 1000 MCQ :
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