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Скачать или смотреть शिव बाबा के पंचाक्षरी मंत्र की सिद्धि कैसे करे - 2 | ध्यान, आवरण पूजा, और काम्य प्रयोग | नमः शिवाय

  • Journeys with Maa
  • 2025-08-11
  • 761
शिव बाबा के पंचाक्षरी मंत्र की सिद्धि कैसे करे - 2  | ध्यान, आवरण पूजा, और काम्य प्रयोग | नमः शिवाय
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Скачать शिव बाबा के पंचाक्षरी मंत्र की सिद्धि कैसे करे - 2 | ध्यान, आवरण पूजा, और काम्य प्रयोग | नमः शिवाय бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

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Описание к видео शिव बाबा के पंचाक्षरी मंत्र की सिद्धि कैसे करे - 2 | ध्यान, आवरण पूजा, और काम्य प्रयोग | नमः शिवाय

0:45 = Questions — प्रश्न
15:00 = Aavaran Puja (Jump to Aavaran Puja) — आवरण पूजा (आवरण पूजा पर जाएं)
16:34 = Vyapak Nyas — व्यापक न्यास
16:48 = Dhyaan — ध्यान
18:20 = Nav Shakti Peeth Pujan — नव शक्ति पीठ पूजन
21:24 = Pahala Aavaran — पहला आवरण
33:00 = Kamya Prayog — काम्य प्रयोग

व्यापक न्यास :
=============
ॐ नमोस्तु स्थाणुभूताय ज्योतिर्लिंगामृतात्मने। चतुमूर्तिवपुःस्थाय भसिताङ्गाय शम्भवे ।। १ ।।
इससे व्यापक न्यास करे।

ध्यान:
=======
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्ग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌। पद्मासीनं समन्तात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्य विश्ववीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌ ।। १ ।।

इसके बाद भगवान्‌ शिव का इस प्रकार ध्यान करना चाहिये--गोदुग्ध एवं चाँदी के पर्वत के समान उनकी कान्ति है, वे मनोहर चन्द्रकला से सुशोभित जटा एवं मुकुट से अलंकृत हैं, उनके आनन्ददायक पाँच मुख हैं, उनके प्रत्येक मुख पर तीन-तीन नेत्र हैं, वे मृगचर्म का वस्त्र धारण किये हैं एवं रत्नाभूषणों से विभूषित हैं, वे अपने दाहिने ऊपर वाले हाथों में कुल्हाड़ी एवं वर तथा बाँये ऊपर वाले हाथों में हरिण एवं अभय धारण किये हुये हैं, उनका मुखकमल अत्यन्त प्रसन्न है, वे कुशों के आसन पर आसीन हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश आदि देवताओं तथा असुरों द्वारा स्तुत हैं, वे विश्व के आदि, विश्वरूपी शरीर वाले, संसार के भय का हरण करने वाले एवं कल्याणस्वरूप हैं। इस प्रकार ध्यान करने के पश्चात्‌ षोड़श उपचारों द्वारा शम्भु-पीठ पर उनका पूजन करना चाहिये।
वामा, ज्येष्ठा, रौद्री, काली, कलविकणिका, बलविकर्णा, बलप्रमथिनी, सर्वभूतदमनी एवं मनोन्मनी--ये नव शम्भुपीठ की शक्तियाँ कही गई हैं॥२२-२८॥

योगपीठ-पूजन के लिये छब्बीस अक्षरों का मन्त्र है -
ॐ नमो भगवते सकलगुणात्मशक्तियुक्तायानन्ताय योगपीठात्मने नमः।

इस मन्त्र से पुष्पाद्यासन देकर पीठ के मध्य स्थापित करके और प्रतिष्ठा करके पुनः ध्यान करके मूलमन्त्र से मूर्ति की कल्पना करके पाद्यादि-पुष्पान्त उपचारों से पूजा करके देव की आज्ञा लेकर आवरण पूजा करे

संविन्मयः परो देवः परामृतरसप्रिय। अनुज्ञां शिव मे देहि परिवारार्चनाय मे।

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