Maa Sharda Temple || Maihar || MP

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Maa Sharda Temple || Maihar || MP


मैहर, मतलब माई का हार
जब सती माता के शव को कंधे पर लेकर भोले बाबा आकाश मार्ग से जा रहे थे। तब माता के गले का हार यहीं त्रिकूट पर्वत पर गिरा था। इसलिए यहां का नाम माई का हार अर्थात मैहर धाम पड़ गया।
कहते हैं कि यदि देवी देवता भी गलतियां करते हैं तो उन्हें भी सजा मिलती है। अपने कर्मों के प्रतिफलन से कोई बच नहीं सकता। दूसरे जब होनी होने को होती है तो देवी देवताओं का भी मतिभ्रम हो जाता है। जैसे माता सती का हो गया था।
माता सती का पहला मतिभ्रम तब हुआ जब वनवास काट रहे भगवान श्रीराम को ही वह नहीं पहचान पाईं। महादेव के मना करने पर भी वह प्रभु की परीक्षा लेने चली गईं। बाद में सर्वविदित है कि उन्हें भगवान शिव का बिछोह सहना पड़ा।क्योंकि इस घटना के बाद शिव ने उन्हें पत्नि रूप में अस्वीकार कर दिया।
दूसरी समस्या तब आई जब बिना आमंत्रण और भोले बाबा के मना करने के बाद भी सती माता अपने पिता महाराज दक्ष के यहां हो रहे यज्ञ में शामिल होने चली गईं। नतीजा महादेव का वहां कोई स्थान न देख कर ग्लानि व पश्चाताप से भरी माता को हवन कुंड में प्रवेश कर अपना प्राण तक त्यागना पड़ा।
सती माता के जीवन से हमें बड़ी सीख मिलती है, कि गलती न करो। अगर बड़ा कुछ कहता है तो समझ में नहीं आने पर भी मान लो। लेकिन उसमें माता की भी क्या ग़लती। प्रारब्ध जो कराता है। वहीं होता है। नहीं तो महादेव की पत्नि होकर भी माता सती को क्या क्या नहीं झेलना पड़ा। फिलहाल हम उन्हीं सती माता के धाम पर हैं। जिन्हे मैहर धाम कहते हैं।
मित्रों यह स्थान मैहर रेलवे स्टेशन से पांच किमी की दूरी पर स्थित है। उसी मार्ग पर माता के धाम से दो किमी पहले बड़ा अखाड़ा आश्रम है। जहां वनवास यात्रा के दौरान प्रभु श्रीराम ने माता जानकी और लक्ष्मण जी के साथ कुछ देर के दिए विश्राम किया था।
बोलिए जय माता दी


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