भारतीय सर्वेक्षण विभाग

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सर्वे ऑफ इंडिया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विभाग के अंतर्गत देहरादून में कार्यरत स्वायत्त संस्थान है। यह देश की राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसी का सबसे पुराना वैज्ञानिक विभाग है। ये वैज्ञानिक सिद्धांतों पर बनाया गया एक सर्वेक्षण नेटवर्क है। सर्वे ऑफ इंडिया के पास देश के कोने-कोने की मैपिंग की जिम्मेदारी है। इसने मैपिंग साइंस को काग़ज़ से बने मानचित्रों से डिजिटल मानचित्रों में बदल दिया है और अब एंटरप्राइज जीआईएस सिस्टम के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

1767 में स्थापित और 250 वर्षों से अस्तित्व में रहने के बाद आज सर्वे ऑफ इंडिया ज़्यादा प्रासंगिक है। चाहे वो कोई भी विकासात्मक गतिविधि हो या राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा, सटीक मानचित्रों की आवश्यकता होती है। राष्ट्र की प्रमुख मानचित्रण एजेंसी होने के नाते सटीक मानचित्र विकसित करने की विशेष जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया पर है।
सर्वे ऑफ इंडिया ने स्वतंत्रता के ठीक बाद राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। निर्देशांक और मानचित्रों का सटीक ढांचा बनाकर सर्वे ऑफ इंडिया ने आज की परियोजनाओं जैसे भाखरा बांध, भिलाई स्टील परियोजना, नागार्जुन सागर परियोजना, नर्मदा परियोजना आदि का आधार बनाया है। सर्वे ऑफ इंडिया को दुनिया की सबसे ऊंची पृथ्वी की चोटी की पहचान का श्रेय दिया जाता है जिसे हम माउंट एवरेस्ट के नाम से जानते हैं जो गर्व से हिमालय में खड़ा है। 250 से अधिक वर्षों की विरासत, मेरिडियन का ग्रेट इंडियन आर्क है। ये अब तक की सबसे बड़ी वैज्ञानिक परियोजना थी। ये पृथ्वी की सतह का अब तक का सबसे लंबा माप था जिसे लेने की कोशिश सर्वे ऑफ इंडिया ने की थी, और इसमें सफल भी हुए।
वर्तमान में सर्वे ऑफ इंडिया, उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार प्रौद्योगिकी, मानचित्रण तकनीकों और मानकों में प्रगति करते हुए उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने की कोशिश में लगा है।

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