भक्त पदमाजी की कथा ।। लक्ष्मीनारायण भगवान देलवाड़ा।। कथावाचक जगदीश जी वैष्णव ।।

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~ भगवान लक्ष्मीनारायण की कथा ~

।।श्री भक्त पदमाजी की संक्षिप्त जीवनी।।
● श्री पदमाजी भक्त का जन्म संवत 1557 में गांव देलवाड़ा के गरीब किसान के घर मे कचेलिया तेली परिवार में हुआ, उनके पिता का नाम कजोड़जी व माता का नाम कंकुबाई था। इनके एक बड़ा भाई - भोजाई थे। इनका समय पर विवाह हुआ लेकिन योग से इनकी धर्मपत्नी का स्वर्गवास हो गया। पदमाजी की बचपन से भक्ति भाव में रुचि थी। धीरे-धीरे ज्यादा भक्ति भावना में लिप्त हो गए , भाई-भोजाई इनकी भक्ति से नाराज थे , इनसे रात-दिन काम करवाते थे। ये सत्संगमें बैठ जाते थे इनका काम भगवान स्वयं करते थे, रात को रेहट चलाना ,पिलाई करना भगवान स्वयं करते थे। उन खेतों का नाम आज भी भूतिया खेत कहते है। बाकी सारा हाल कथा में प्रस्तुत है । संवत 1633 में मंदिर का निर्माण कराया जो आज चौरासी समाज द्वारा संचालन हो रहा है।

इन भक्त पदमाजी की कथा गुरु महाराज श्री भैरव शंकरजी शर्मा गांव नेवरिया तहसील गंगरार , जिला चित्तौड़गढ़ द्वारा रचित होकर कथावाचक गुरुदेव जगदीश जी वैष्णव के मुखारविंद से बहुत ही मधुर एवं सुंदर वाणी द्वारा प्रस्तुत की जा रही है । यह रचना संवत 2048 दिनांक 14 जनवरी 1992 (मकर सक्रांति) की है।



कथावाचक जगदीश जी वैष्णव मुंगाणा ।।

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