शुद्ध सास देखते देखते मन तनावेसे विकारोसे अहंकार से मुक्त होगा. प्लीज डिस्क्रिप्शन पधिये

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मन कोण निर्विचार करणार निर्विकल्प करना यह इस साधना का उद्देश्य नहीं। क्योंकि मन तो किसी भी बात से निर्विकल्प हो सकता ह, एकाग्र हो सकता है। स्पष्ट रूप से तो किसी अधिकारी ने करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने की ठान ली। तो वह अपने उद्देश्य में सफल हो जाता है। यह दूसरी बात है कि वह निसर्ग के नियमों से जैसे कर्म करेगा वैसे फल मिलेगा।
इसी तरह कोई चोरिया खूनी आदमी भी विचारों की एकाग्र कर लेता है।

हमें तनाव शे विकारों से मुक्त होना है । अहंकार से मुक्त होना है।

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