jhoola आओ हम सब झूला झूलें - hindi poem

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आओ हम सब झूला झूलें

आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें

है बहार सावन की आई
देखो श्याम घटा नभ छाई

अब फुहार पड़ती है भाई
ठंडी – ठंडी अति सुखदायी

आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें

कुहू – कुहू कर गाने वाली
प्यारी कोयल काली – काली

बड़ी सुरीली भोली – भाली
गाती फिरती है मतवाली

हम सब भी गाकर झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें

मोर बोलता है उपवन में
मस्त हो रहा है नर्तन में

चातक भी बोला वन में
आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें

आओ फिर से दिया जलाएँ - अटल बिहारी वाजपेयी


आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

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