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राजस्थान के लोक जीवन में भोपाओं द्वारा फड़ बाँचने की परम्परा का सदियों से प्रचलन रहा है।
विशेषत: देवनारायण और पाबूजी के फ़ड़ अत्यन्त लोकप्रिय है।
इस परम्परा में लगभग ८ ३६ मीटर विशाल फड़ का प्रयोग किया जाता है जिसमें लोक गाथा के पात्रों और घटनाओं का चित्रण होता है।
भाद्रपद शुक्ला सप्तमी को उनका वहीं देहावसान हुआ । देवनारायण से पीपलदे द्वारा सन्तान विहीन छोड़कर न जाने के आग्रह पर बैकुण्ठ जाने पूर्व पीपलदे से एक पुत्र बीला व पुत्री बीली उत्पन्न हुई ।

रतलाम | गुर्जर समाज ने आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण के प्रिय अश्व (घोड़े) लीलाधर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया।


भेरा राम जी 2.भोपा घासी भोपा 3.सुरेश जी भोपा 4.मनाराम जी भोपा 5.आमरा राम भोपा 6.दुर्गा राम भोपा 7.रामो जी आना 8.मोती राम जी भोपा।
9.दुराम जी भोपा 10.सरवन जी तेड़वा भोपा 11.भीगका राम जी भोपा 12.दीपा राम 13.पीरू राम जी भोपा 14.पापू जी भोपा 15.दियाल जी भोपा 16.बरद्र जी भोपा 17.रूपा राम जी भोपा देवनारायण - फड़ परम्परा. राजस्थान के लोक जीवन में भोपाओं द्वारा फाड़ बांचने की परंपरा का इतिहास वोग बना हुआ है।
विशेष: देवनारायण और पाबूजी की फ़ेड अत्यंत लोकप्रिय है।
इस परम्परा में लगभग 8 36 मीटर विशाल फड़ का प्रयोग किया जाता है जिसमें लोक कथाओं के कथानक और संस्मरणों का चित्रण होता है।
भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को उनका जहां देहवासन हुआ। देवनारायण से पीपलदे से एक पुत्र बीला और पुत्री बीली उत्पन्न हुई।

हाला | गुर्जर समाज ने आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण के प्रिय अश्व (घोड़े) लीलाधर का जन्मोत्सव महोत्सव मनाया।

गुर्जर जाति के गौरव
🚩 बगड़ावत 🚩
चौइस बगड़ावत भाइयों के नाम:-
1. तेजा जी बगड़ावत
2. सेजा जी बगड़ावत
3. सवाई भोज बगड़ावत
4. नेवाजी जी बगड़ावत
5. धनाजी जी
6. माहरावत जी
7. बाहरावत जी
8. झड़सी जी
9. बड़सी जी
10. सांगा जी
11. मांगा जी
12. झांसा जी
13. कासों जी
14. गूदड़ जी
15. खोतड़ जी
16. कोला जी
17. कुबाना जी
18. करणा जी
19. जिवन जी
20. कानू जी बगड़ावत
21. लालो जी बगड़ावत
22. जोधा जी बगड़ावत
23. झाला जी बगड़ावत
24. बाला जी बगड़ावत

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