आपकी कुण्डली में यदि ऐसा शुक्र है तो समझिए आप अत्यंत भाग्यशाली हैं। देखें पार्ट 252

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जिस जातक की कुंडली में मीन राशि का उच्च का शुक्र हो या वृष राशि का या तुला राशि का स्वगृही शुक्र हो तो ऐसा जातक अत्यंत भाग्यशाली होता है तथा सभी सुखों से युक्त होता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि ऐसा शुक्र जिस भाव में बैठा हो उस भाव के अनुसार ही लाभदायक होता है। इसमें कोई सन्देह नहीं है।
जिस जातक की कुंडली में लग्न में, द्वितीय स्थान में या तृतीय स्थान में ऐसे शुक्र वाला जातक अत्यंत बुद्धिमान, बलवान, धैर्यवान, धनवान, आत्मनिर्भर, पराक्रमी होता है।
जिसकी कुण्डली में चतुर्थ स्थान में या पंचम स्थान में ऐसा शुक्र हो तो ऐसा जातक चल अचल सम्पत्ति से युक्त, माता पिता के सुख से युक्त, बन्धु बान्धवों से सहयोग से कार्य करने वाला, अत्यंत विद्वान, गुणवान,राजपक्ष से लाभान्वित , स्त्री पुत्र, वाहन आदि सभी सुखों से युक्त होता है। षष्ठ भाव में और अष्टम भाव में ऐसा शुक्र अल्प सुख देता है।
सप्तम भाव तथा नवम भाव में ऐसा शुक्र वाला जातक अत्यंत भाग्यशाली, रूपवती तथा गुणवती स्त्री सुख से युक्त, पुत्र के सुख से युक्त, आस्तिक प्रवृत्ति वाला तथा अत्यंत बुद्धिमान और धनवान होता है।
जिस जातक की कुंडली में दशम एकादश या द्वादश भाव में ऐसा शुक्र होता है ऐसा जातक अत्यंत कर्मठ, माता पिता के सुख से युक्त,राजपक्ष से लाभ प्राप्त करने वाला, अत्यंत पराक्रमी, सभी सुखों से युक्त, परोपकारी, कृतज्ञ और अत्यंत धनी तथा सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
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