तीन तापों का दुख।। विशाल वचनामृत।। सदगुरु अभिलाष साहेब जी

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तीन तापों का दुख एक प्राचीन भारतीय दर्शन की अवधारणा है, जो दुख के तीन प्रमुख स्रोतों को दर्शाती है:

1. *आधिदैविक ताप*: यह दुख ईश्वर या उच्च शक्ति की ओर से आता है, जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं, बीमारियां आदि।
2. *आधिभौतिक ताप*: यह दुख अन्य जीवों या प्राणियों की ओर से आता है, जैसे कि दूसरों की दुर्भावना, हमले आदि।
3. *आध्यात्मिक ताप*: यह दुख आत्मा की ओर से आता है, जैसे कि आत्म-दुख, आत्म-विश्वास की कमी, आदि।

इन तीन तापों का दुख हमारे जीवन में विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है। यह अवधारणा हमें दुख के मूल कारणों को समझने और उनसे मुक्ति पाने के लिए प्रेरित करती है।

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