जो समझ गया, वो तर गया! (अध्यात्म के नियम) || आचार्य प्रशांत, शून्यता सप्तति पर (2023)

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वीडियो जानकारी: 16.12.23, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ अध्यात्म के नियम क्या हैं?
~ क्या महत्वपूर्ण है, 'किसके साथ हो रहा है' या 'क्या हो रहा है'?
~ जीवन से पहले क्या आता है?
~ जीवन के सूत्र कैसे समझें?
~ हमें दुख कब होता है?

कारण के लिए कार्य का होना आवश्यक है। भूतकाल में जिस कार्य की उत्पत्ति हो चुकी है
और जो कार्य अभी तक उत्पन्न नहीं हुआ है उन दोनों अवस्थाओं में कारण कारण नहीं रहेगा क्योंकि
उन कार्यों का अस्तित्व नहीं। उत्पन्न होता हुआ कार्य अस्तित्ववान् और अस्तित्व रहित होने के कारण
विरोध ग्रस्त हो जाएगा। अतः तीनों कालों में कारण का अस्तित्व उत्पन्न नहीं हो सकता।
~ शून्यता सप्तति - छंद क्र. 6

संगीत: मिलिंद दाते
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