Sangat Ep.85 | Dinesh Kushwah on Poetry, BHU, Rewa, Rekha, Dilip Mandal & OBC issue | Anjum Sharma

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Sangat Ep.85 | Dinesh Kushwah on Poetry, BHU, Rewa, Rekha, Dilip Mandal & OBC issue | Anjum Sharma

हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के एपिसोड 85 में मिलिए कवि-गद्यकार दिनेश कुशवाह से।

दिनेश कुशवाह का जन्म 1961 की 8 जुलाई को अयोध्या में हुआ। उत्तर प्रदेश में देवरिया ज़िले के छोटे से गाँव गहिला में बचपन बीता। स्नातक से लेकर पी-एच.डी. तक की शिक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में हुई।

समकालीन हिंदी-कविता में दिनेश कुशवाह सबसे अलग स्वर के लिए जाने जाते हैं। रचनाकारों और पाठकों के बीच वह समान रूप से चर्चित हैं। उन्हें अपनी कविताएँ याद रहती हैं और उनका कविता-पाठ करने का ढंग भी इस दौर में सबसे अनूठा है। हिंदी-कविता के अध्येताओं और जन-संघर्षों में लगे साथियों के वह आत्मीय कवि हैं। हिंदी की सभी शीर्षस्थ पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ ही अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में उनकी कविताओं का अनुवाद हो चुका है।

उन्होंने लगभग एक दशक तक साम्यवादी छात्र राजनीति और राहुल सांकृत्यायन पर शोध के साथ ही लंबा घुमक्कड़ी जीवन जिया है। पत्रकारिता और अध्यापन के बीच लगातार आवाजाही करते हुए वह पाँच वर्षों तक प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘वसुधा’ के सहायक संपादक रहे। वर्ष 1994 से वह रीवा विश्वविद्यालय में हैं।

वह श्रेष्ठ कवि-कर्म के लिए 1994 के ‘निराला सम्मान’ से सम्मानित हैं। उनके कविता-संग्रह ‘इसी काया में मोक्ष’ को 2008 का ‘वागीश्वरी पुरस्कार’ मिला है। उन्हें 2010 का ‘वर्तमान साहित्य मलखान सिंह सिसोदिया कविता पुरस्कार’, 2012 का ‘सावित्री सम्मान’ और ‘केदार सम्मान’ तथा वर्ष 2013 का ‘स्पंदन कृति सम्मान’ भी मिला है।

दिनेश कुशवाह के दो कविता-संग्रह ‘इसी काया में मोक्ष’ (2007) और ‘इतिहास में अभागे’ (2017) शीर्षक से प्रकाशित हैं, इसके साथ ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके संस्मरण और आलेख भी बहुचर्चित रहे हैं।

संप्रति : हिंदी विभाग, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (मध्य प्रदेश) के वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष तथा महाकवि केशव अध्यापन एवं अनुसंधान केंद्र ओरछा के निदेशक।

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