Bajrangarh Jain Mandir | Punyodaya Jain Tirth | अतिशय क्षेत्र |

Описание к видео Bajrangarh Jain Mandir | Punyodaya Jain Tirth | अतिशय क्षेत्र |

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जैनागढ़, झारकोन, बजरंगढ़, इत्यादि कई नामों से जुड़ा हुआ इतिहास रहा है इस नगर का जो आज नक़्शे में बजरंगढ़ और जैन परम्परा में पुण्योदय दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है. इतिहास बताते हैं की यहां करीब 1000 वर्ष पूर्व धनाढ्य जैन नगर हुआ करता था तब यहां चंदाप्रभु जिनालय और पार्श्वनाथ जिनालय यही दोनों जैन मंदिर थे. उन्ही दिनों में यहां एक व्यापारी पादशाह का इस नगर में आना हुआ चूँकि उनका व्यापार भैंसों के विक्रय का था तो यह हर नगर में कई कई दिनों के लिए रुका करते थे नियम, संयम से रहना उनकी दिनचर्या में था एक दिन उनकी एक भैंस जिसके गले में लोहे की चेन बंधी हुई थी वह सोने की हो जाती है जिसे देखकर पादशाह जी को विदित हो जाता है की निश्चित ही कहि आसपास पारस पत्थर है और वह उसे खोज भी लेते है | फिर बाद में वो इससे प्राप्त द्रव्य से जिन मंदिर का निर्माण करवाते हैं उनके द्वारा बुंदेलखंड में बहुत सारे जिन मंदिरों का निर्माण करवाया गया है इस प्रकार का इतिहास बजरंगढ़ का भी आता है

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