जीताराम जाट और घीसादास जी की कथा | गांव की पंचायत की कहानी | Sant Rampal ji Satsang | kabir Saheb ji

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यह सत्य घटना लगभग ढाई सो तीन सौ साल पुरानी है। उत्तर प्रदेश के एक खेखड़ा नामक गांव में एक जीताराम जाट नाम का सरपंच रहता था। वह गांव का न्यायकारी पंचायती और सत्य पर चलने वाला नेक इंसान था।
उसी गांव में एक घीसादास जी नाक के नीची जाति के संत भी थे। परमात्मा कबीर साहेब उन्हे छोटी उम्र में मिलकर सत भक्ति और पूर्ण परमेश्वर की जानकारी दी थी।
घीसादास जी उसी गांव में सत्संग किया करते थे तथा दीक्षा भी दिया करते थे। उनके भक्ति को परमेश्वर अनेकों सुख तथा लाभ देता था। भक्त रात में भी सत्संग सुनने जाते थे। सत्संग में स्त्री पुरुष दोनों ही जाया करते थे।
गांव के लोग इस बात को लेकर चिंता जाहिर करने लगे। सभी ने एक पंचायत की।

A. भाई उस घीसादास की सत्संग में स्त्री पुरुष रात में भी जाते है।
A1. हां भाई लोगो, कुछ गलत हो गया तो चारो तरफ हाहाकार मच जाएगी। उसे रोकना ही होगा।
A. हां, उसे कहो की ये सत्संग वगैरा बंद कर दे। वरना अच्छा नही होगा।
J. हां, में स्वयं ही जाकर इस बारे में बात करूंगा। आप निश्चिंत रहिए। कल में जाकर उन्हें मना करता हूं।

अगले दिन जीता राम जाट एक लाठी लेकर संत घीसादास जी के घर जाता है।
J. ऐसे लाठी लेकर जाऊंगा तो अच्छा नही रहेगा। संत के पास पहली बार जा रहा हूं और ऐसे लड़ने का उद्देश्य लेकर? तो अच्छा नही लगेगा। इसे यही रख देता हूं।

जीतराम जी ने लाठी एक पेड़ के नजदीक लगा रख दी और घीसादास जी के घर पहुंच गए। सभी ने सोचा की चौधरी साहब आए है और जरूर ये अपने जाट दिमाग से कुछ उल्टा ही कहेंगे।
उस समय घीसादास जी सत्संग कर रहे थे।

J. चलो पहले थोड़ा इनके विचार सुन लेता हूं, फिर मेरे तर्क रखूंगा। ऐसे बीच में नही टोकना चाहिए।

G. भाई संतो का काम किसी का अहित करना नही होता। संत तो भक्त को परमात्मा से मिलाने वाले होते है। उनके सत्संग में आने से भक्त कई बुरे काम छोड़कर नेक काम करने लगते है और फिर परमात्मा उन्हे अनेकों लाभ देता है जैसे आप लोगो को मिल रहे है।

संत घीसादास जी ने काफी देर तक ऐसा सत्संग सुनाया। चौधरी जीतराम जी गदगद हो गए और रोने लगे। जिताराम जी अपने आंसू नही रोक पाए।
जीतराम जी संत घीसादास जी के चरणों में गिर गए।

J. मुझे माफ कीजिए गुरुदेव। मुझे माफ कीजिए। में तुच्छ बुद्धि का जीव हूं और आप सर्वसंपन्न ज्ञानी हो।

G. क्या हुआ चौधरी साहब, आप जिस काम आए थे वह तो कीजिए। आप किस उद्देश्य से आए हो।

J. मुझे माफ करो महात्मा। में आपके प्रति गलत सोच लेकर आया था और सत्संग को बंद करवाने के उद्देश्य से आया था।
लेकिन आपने जो ज्ञान दिया उससे मेरा हृदय बिल्कुल परिवर्तित हो गया। आज के बाद आपको कोई सत्संग करने के लिए नही रोकेगा। आप दिल खोलकर सत्संग कीजिए।

चौधरी जीताराम जी ने संत जी से दीक्षा ले ली और भक्ति करने लगे।

चौधरी जी भी सत्संग में आने लगे और रात में भी आने लगे। जिताराम जी अब पंचायती में कम और सत्संग में ज्यादा जाने लगे।
पूरा गांव उनकी इस बात पर निंदा करने लगा।
रोज पंचायत करने लगे और जीताराम जी को सरपंच से हटा दिया।
A. भाई इन्हे इस गांव में ऐसा करने से रोकना होगा। वरना अब बात बिगड़ने वाली है।
A 1. हां भाई लोगो, ये सही कह रहा है। ये रुकते तो है नही, इन्हे अपने गांव से ही निकाल देते है।

जीता राम जी के परिवार वाले भाई बंधु और चाचा ताऊ सभी पंचायत के इस फैसले से खुश थे। वे भी जीता राम जी से झगड़ा करने लग गए थे।

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