Hindi Kavita || माँ को याद करती हूँ || मंजु आनंद की हिंदी कविता ||

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Hindi Kavita || माँ को याद करती हूँ || मंजु आनंद की हिंदी कविता ||
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अमर उजाला काव्य मे प्रकाशित मेरी स्वरचित कविता है माँ को याद करती हूँ
Read my full Poem है माँ को याद करती हूँ here:
माँ को याद करती हूँ
माँ आज फिर तुम्हारा ख्याल आया है,
आज फिर तुम्हारे हाथों से बने,
कढ़ी चावल का स्वाद,
मेरे मुँह मे पानी भर लाया है,
यादें मुझे ले गई कई बरस पीछे,
रसोई से जैसे ही आती खुशबू कढ़ी पकने की,
कदम दौड़ पड़ते रसोईघर की ओर,
ललचाई नज़रें धीरज खोने लगती,
माँ कढ़ी जल्दी बनाओ ना,
चूहे पेट मे मचा रहे हैं उधम,
डाल माँ के गले मे बाँहें,
मै माँ से लिपट जाती,
मिटती घड़ियाँ इंतज़ार की,
माँ थाली मे परोस कर गर्मागर्म कढ़ी चावल,
बड़े ही लाड़ दुलार से मुझे खिलाती,
जब मैं कहती आज मिर्ची थोड़ी ज्य़ादा डाली है,
तो माँ झूठा गुस्सा दिखलाती,
माँ के साथ ऐसी खट्टी मीठी नोक झोंक,
का अपना ही अलग मज़ा था,
माँ चली गई दुनिया छोड़कर,
चला गया उनके हाथों का स्वाद भी,
माँ को याद करती हूँ तो याद आ जाते हैं,
माँ के हाथों से बने स्वादिष्ट कढ़ी चावल,
माँ आज फिर तुम्हारा ख्याल आया है।

ज़िन्दगी में बाधाओं से निपटने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रेरित करने वाली ये मेरी हिंदी कविता एक मार्गदर्शन के रूप में काम कर सकती हैं। आइये मेरी हिंदी कविता से अपने जीवन में प्रेरणा और उत्साह पाएं। कुछ और कविताएं सुनिए.....    / @laharebymanjuanand  

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