नाटो: दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन [75 years of NATO] | DW Documentary हिन्दी

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1949 से नाटो ने यूरोप की सुरक्षा नीति को जितना प्रभावित किया है, उतना किसी संगठन ने नहीं किया. नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन के आर्टिकल 5 में ‘कलेक्टिव डिफेंस’ का उल्लेख है. लेकिन क्या दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य संगठन अपनी रक्षा कर सकता है?

नाटो की 75वीं सालगिरह पर यह डाक्यूमेंट्री, इस संगठन के अतीत, भविष्य और वर्तमान का आकलन करती है. साथ ही, इसकी कमजोरियों को भी रेखांकित करती है. उदाहरण के लिए ‘नार्थ अटलांटिक ट्रीटी’ का आर्टिकल 5 सिर्फ कहने के लिए बाध्यकारी है. सदस्यों के बीच आपसी सहमति ज़रूरी है लेकिन सुनिश्चित नहीं है और आपातकालीन स्थितियों में सैन्य व रक्षा आपूर्ति प्रभावित इलाक़े में तुरंत पहुँचाने को लेकर गारंटी भी पूरी नहीं है.

यह फ़िल्म सैन्य गठबंधन के अधिकार क्षेत्र वाले इलाक़े में लेकर जाती है. फ़िल्मकारों ने एस्टोनिया के टालिन स्थित नाटो के साइबर डिफेंस सेंटर का भी दौरा किया. यहाँ से वे जर्मनी के उल्म गए जहां नाटो की सैन्य टुकड़ियां और सैन्य आपूर्ति सामग्रियों का भंडार है. अगला पड़ाव ब्रसेल्स स्थित नाटो का मुख्यालय था, जहां राजनीतिक निर्णय लिए जाते हैं. इस फ़िल्म में नाटो के मौजूदा और पूर्व उच्च रैंक वाले जनरलों के साथ ही रक्षा विशेषज्ञों से भी बातचीत की गई है.

अंतरराष्ट्रीय इतिहासकारों की मदद से, डॉक्यूमेंट्री नाटो के बीते 75 वर्षों के इतिहास पर भी नज़र डालती है. दूसरे विश्व युद्ध के विध्वंसक परिणामों के बाद स्थापित इस संगठन के निर्माता दुश्मनों को रोकना चाहते थे. उससे भी ज़्यादा अहम मकसद था संगठन के सदस्य देशों के बीच शांति क़ायम करना. वे फिर से जर्मनी को ताक़तवर होते नहीं देख सकते थे.

डाक्यूमेंट्री में अब तक अनदेखी आर्काइव सामग्री इस्तेमाल की गई है: 1950 के दशक नाटो के सदस्य देशों की तस्वीरें ताकि सैनिकों में एक-दूसरे के देशों के बारे समझ और एकजुटता बने.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और राजनयिक वुल्फगांग इशिंगर जैसे महत्वपूर्ण चश्मदीद इस फिल्म में दिखेंगे. वे नाटो के वर्तमान परिपेक्ष्य पर प्रकाश डालते हैं कि वर्ष 2018 में अमेरिका नाटो छोड़ने के कितने क़रीब था? और उसके क्या नतीजे हो सकते थे? क्या सच में सोवियत संघ के विघटन के बाद नाटो का पूर्व की ओर विस्तार नहीं करने का आश्वासन दिया गया था? फिल्म इसी सवाल का जवाब ढूंढती है जिसने रूस और नाटो के वर्तमान संबंधों को आकार दिया है.

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