राजा शूद्र दलित कैसे बना|झोपड़ी में रहने वाला महलों में कैसे?

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राजा शूद्र दलित कैसे बना|झोपड़ी में रहने वाला महलों में कैसे?
दूसरा अहम मोड़ (Turning Point) भारत के इतिहास में दूसरा अहम मोड़ तब आया जब सम्राट अशोक कलिंग विजय का जश्न मना रहे थे कि कुछेक बौद्ध भिक्षु उनके समारोह में आये. उन भिक्षुओं ने सम्राट अशोक द्वारा मानव हत्यायें करके राज्य जीतने के कार्य को तुच्छ बताया, सम्राट को अपने किये पर ग्लानि का आभास हुआ. अशोक ने बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया. वह समय भारत तथा बौद्ध धर्म के लिए एक टर्निंग प्यायंट था उन्होंने अपने राज्य में यज्ञों में जीव हिंसा करने पर पाबंदी लगा दी वर्ण भेद के नाम पर किये जा रहे भेदभाव को समाप्त किया केवल उत्तरी भारत तक सीमित बौद्ध धर्म को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचा दिया आज दुनिया में जो नैतिकता का अंश मिलता है वह मात्र बुद्ध धर्म के कारण ही है.

3. तीसरा अहम मोड़ (Turning Point) भारत के इतिहास में तीसरा अहम मोड (Turning Paint) तब आया जब ब्राह्मणों ने इतिहास में पहली बार वह किया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.बाहाणी के गिरोह ने पुष्यमित्र शुंग नामक हत्यारे ब्राह्वाण की अगुवाई में सम्राट अशोक के पौत्र सम्राट वृहदर्थ की हत्या करके भारत की राजसत्ता पर कब्जा कर लिया. जब से धरती बनी है तब से यह पहली बार ऐसा हुआ कि ब्राह्मणों ने हत्या करके राजगद्दी हथियाई थी. तब से सत्ता हथियाये हुए ब्राह्मण आज तक सत्ता पर काबिज है. भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ था कि भारत देश की सत्ता किसी गैर शूद्र की नींव रखी. उनसे पहले भारत का कभी कोई सम्राट नहीं हुआ. 230 सालों तक नाग राजाओं का भारत पर शासन रहा अंतिम नाग राजा महानंद हुए नाई जाति के नन्द ने तब 413 ईसा पूर्व में नन्द यश की स्थापना की अंतिम नन्द राजा महापदम द्वारा एक दासी से पैदा पुत्र चन्द्रगुप्त थे. उन्होंने अपनी माँ का भौर्य गोत्र अपनाया और 322 ईसा पूर्व में मौर्य वंश की स्थापना की आज भी लाखों की संख्या में मौर्य गोत्री दलित दिल्ली यूपी और राजस्थान में बसते है. चन्द्रगुप्त के पुत्र बिन्दुसार हुए. भारत में बिन्दुसार पहले राजा थे जिन्होंने भारत में सड़कों

का निर्माण करवाया. उन्होंने अफगानिस्तान से लेकर बंगाल तक सड़कें बनवाई, उनके पुत्र अशोक थे. उनका पूरा नाम था देवनामप्रिय प्रियदर्शी अशोक मौर्य, दलित सम्राट अशोक मौर्य का नाम दुनिया भर के राजाओं के नामों में वैसे ही चमकता है जैसे तारों के बीच पूर्णिमा का चन्द्रमा ।।

अब से लगभग 2200 साल पहले हत्यारे ब्राह्राणों ने सम्राट अशोक के पौत्र सम्राट वृहदर्थ की हत्या की थी. उनकी हत्या करने के बाद ब्राह्मणों ने जो कदम उठाए उन्होंने भारत के भविष्य का नक्शा ही बदल दिया. ब्राह्मणों ने उस समय दिल को झझकोर देने वाले कार्य किये. ये कार्य निम्न प्रकार से है. (खण्ड 7.157)

ब्राह्राणों ने स्वयं को क्षत्रिय से ऊँचा घोषित किया भगवन बुद्ध के समय तक भारतीय मूल के क्षत्रिय वंशज ब्राहाण से ऊपर गिने जाते थे. स्वयं भगवन बुद्ध ने क्षत्रियों को ब्राहाणों से श्रेष्ठतर होने की बात कही थी. जब वे वर्ण अथवा जाति की बात करते थे तो श्रेष्ठता के आधार पर वे इस प्रकार से बोलते थे क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य और शूद्र. (भगवान बुद्ध और उनका धम्म पृ. 295) अर्थात क्षत्रियों का नम्बर ब्राह्मणों से ऊपर आता था. ब्राह्मणों के गिरोह ने सम्राट वृहदर्थ की हत्या करके इस क्रम को बदल दिया. उन्होंने ब्राह्वाण को प्रथम स्थान पर ला दिया इस क्रम को कोई बदले नहीं इसलिए उन्होंने बेदों में पुरुषसूक्त नामक अध्याय घुसेड़ दिया जिस में यह घोषणा की गई कि ब्रह्मा के मुंह से ब्राह्मण, मुजाओं से
उन्होंने ब्राह्वाणों को राजा से भी ऊंचा घोषित कर दिया, ब्राह्मण को कानून से ऊपर का दर्जा दे दिया गया. उन्हें न केवल यह अधिकार दिया गया कि वह बिना राज्य के हस्तक्षेम के किसी को भी सजा दे दे बल्कि उसे राजा की हत्या करने तक का अधिकार भी ये दिया गया जो राजा ब्राहाण धर्म के विरुद्ध काम करे या ब्राह्मण धर्म नहीं अपनाये तो ब्राह्मणों को ऐसे राजा को कत्ल करने का अधिकार दिया गया. यह मात्र कागजी कानून नहीं था ब्राह्मण ग्रन्थ ऐसी घटनाओं से भरे पड़े हैं जहां ब्राह्मणों ने यज्ञ न करने वाले राजाओं को कत्ल किया ब्राहाणों को राजा बनने का अधिकार दिया गया जब से धरती बनी है तब से लेकर सम्राट वृहदर्थ की हत्या तक एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि भारत का राजा कोई ब्राह्मण रहा हो. आम ब्राह्मण तो केवल भिक्षा पर गुजारा करता था बड़े ब्राह्राण ऋषिओं को अपने आश्रमों में ऐय्याशी करने से ही फुर्सत नहीं मिलती थी. ब्राह्मण की तो बात ही छोड़ो, भारत देश का राजा कभी कोई ब्राह्मणिक क्षत्रिय भी नहीं रहा. अयोध्या, कोसल, हस्तिनापुर जैसे छोटे मोटे गांव कस्बों में जरूर क्षत्रिय रजवाड़े होते थे. वेद, पुराण लिखने वाले ब्राह्मण इन रजवाड़ो से दासियां और गायें उपहार में पाते थे और उन्हें सारी पृथ्वी का चक्रवर्ती राजा लिख देते थे. इतिहास में सन 185 ईसा पूर्व (लगभग 2200 साल पहले, पहली बार एक हत्यारा ब्राह्मण भारत का राजा बना था. उस हत्यारे द्वारा स्थापित ब्राह्मण राज आज तक जारी है. जो भी इनके विरुद्ध बोला उसे मार दिया गया चाहे वह चावार्क हो. राजा वेण हो. महाराज रावण हों, गुरू रैदास हो या फिर इनका अपना भाई दयानन्द हो. आज भी अनेकों ब्राह्मणों (पुरोहितों) पर हत्या करने के कैस चल रहे हैं
ब्राह्वाण को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया उसे जीवित भगवान घोषित कर दिया गया. सभी देवता मन्त्रों के अधीन करार दिए गए तथा मन्त्र ब्राह्मणों के अधीन करार दिए गए नतीजा यह हुआ कि ब्राह्मण सबसे ऊपर की बीज बना दिए गए।
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