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Скачать или смотреть kanwar Yatra 2024 पर Supreme Court बड़ा फैसला | कमलेश यादव के साथ दिल की बात

  • ACN18 INDIA
  • 2024-07-22
  • 172
kanwar Yatra 2024 पर Supreme Court बड़ा फैसला | कमलेश यादव के साथ दिल की बात
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kanwar Yatra 2024 पर Supreme Court बड़ा फैसला | कमलेश यादव के साथ दिल की बात

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उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारो द्वारा कावड़ यात्रा मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वालों के लिए जो शर्तें लगाई गई हैं उस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और व्यवस्था दी है कि भोजनालयों के मालिक अपनी पहचान लिखें उन्हें नाम बताने की जरूरत नहीं सिर्फ वे यह बताएं कि उनके पास कौन से और किस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं


सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्यों को 26 जुलाई तक अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया है।
किसी एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने 20 जुलाई को जो याचिका दायर की थी उनकी ओर से कांग्रेस नेता और देश के प्रसिद्ध वकील मनु सिंघवी ने दलील दी कि अल्पसंख्यकों की पहचान के जरिए उनका आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है।

वकील साहब ने सिर्फ इतना ही नहीं कहा होगा और भी बहुत कुछ उनकी ओर से दलील दी गई होगी। तभी तो सुप्रीम कोर्ट ने इस बहुचर्चित मामले में होटल के मालिकों की पहचान उजागर करने वाले आदेश को फिलहाल रद्दी की टोकरी में डाल दिया है

सुप्रीम कोर्ट की इस नई व्यवस्था से वे लोग अवश्य खुश होंगे जिनका उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार के आदेश से कारोबार चौपट हो जाने का अंदेशा था। उन्हें लगता रहा होगा की लाखों कांवरिये उनके सामने से गुजरेंगे लेकिन उनके होटल या दुकान पर उनका नाम देखकर प्रवेश नहीं करेंगे

हो सकता है उनका अंदेशा सत्य भी साबित होता। इससे उन्हें जो नुकसान होता उसकी भरपाई करने में उन्हें वक्त लगता। यह भी हो सकता था कि कोई इतने नुकसान में चला जाता कि उसे दोबारा कारोबार को पटरी पर लाने में सफलता ही ना मिलती

खैर व्यवसाईयों को कितना लाभ होता उन्हें कितने नुकसान के पायदान उतरने होते इसका आकलन तो वक्त करता लेकिन तीनों राज्यों के इस आदेश पर देश में जिस तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त की गई और की जा रही है उससे लगता है कि देश के भाईचारे को नुकसान अवश्य हुआ है लोग तर्क पर तर्क दिए जा रहे थे ।

आदेश के पक्ष में सोशल मीडिया पर तर्कों की बाढ़ आ गई। मुसलमानों के लिए जिस तरह के अल्फाज इस्तेमाल किए जाने लगे उनकी नमो निहाद करनी पर तलख टिप्पणियां की जाने लगी पुराने मामलों में मुस्लिम बिरादरी के लोगों के बयानों का पोस्टमार्टम किया जाने लगा उससे तमाम जख्म भी हरे होने लगे।

आदेश के पक्ष में भी दलीलों का सैलाब उमड़ पड़ा। कहां जाने लगा कि भारत को हिंदू मुसलमान के बीच बांटा जा रहा है ।यदि ऐसा नहीं है तो क्या हिंदू बिरादरी के वे लोग जिन्हें शूद्र माना जाता है उनके होटल में कथित सवर्ण भोजन प्राप्त करने जाएंगे।

क्या सवर्ण उस होटल में जाएंगे जिसमें मलिक के नाम के आगे किसी अछूत कहे जाने वाले जाति का उल्लेख होगा। क्या कर्मकांडी पंडित जी अनुसूचित जाति के किसी होटल मालिक के यहां चाय पीना या भोजन प्राप्त करना पसंद करेंगे। जबकि होटल मालिक हिंदू होने के नाते अपने यहां हिंदुओं के आराध्य देव और देवियों का चित्र लगाकर उनकी आराधना भी करता है।

ऐसी तमाम पक्ष और विपक्ष में दलीलें दी जाती रही हैं जिन पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने अल्पविराम लगा दिया है। अब देश की सर्वाेच्च अदालत ने जो व्यवस्था दी है उसके तहत होटल मालिक को अपना नाम लिखने की जरूरत नहीं है बल्कि यह बताने की आवश्यकता है कि उसका होटल शाकाहारी भोजन परोसता है अथवा मांसाहारी।

अब वैसे देखा जाए तो हम कहां किसी होटल मालिक की जात पूछने जाते है। जैसे शाकाहार अपनाने वाले जब किसी शहर में राजस्थानी मारवाड़ी गुजराती भोजनालय लिखा देखते हैं तो यह कहां पूछते हैं की प्रदेश या क्षेत्र का नाम तो आपने लिख दिया है लेकिन इसका मालिक कौन है किस जाति या धर्म का है यह जानने की कोशिश कहां करते हैं। राजस्थान मारवाड़ गुजरात में सिर्फ हिंदू ही रहते हैं ऐसा तो नहीं है वहां तो मुस्लिम वह अन्य धर्म के लोग भी निवास करते हैं
यह मामला विशुद्ध रूप से यकीन करने का है। हमारा मन कहता है कि जहां हम भोजन ग्रहण करने जा रहे हैं वहां शाकाहारी भोजन शुद्धता के साथ हमें प्राप्त होगा।

अब इस विश्वास को होटल का मालिक वह चाहे जिस भी धर्म का हो तोड़ता है या बरकरार रखता है यह उसकी नियत पर अवलंबित है।
बहरहाल मेरे जैसा जन्मजात शाकाहारी तो किसी होटल में यदि भोजन करने जाता है तो पहले ही कह देता है की भाई मैं शुद्ध शाकाहारी हूं मुझे भ्रष्ट मत कीजिएगा ।अब होटल का मालिक या उनके कर्मचारी यदि हमारे साथ धोखा करते हैं तो उसके लिए विधाता उन्हें क्षमा नहीं करेगा यह मानकर हम भोजन को उद्रस्थ कर लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से देश के पहरुओं को दिशा दिखाई है। इस बहुचर्चित मामले में अदालत के आदेश के पश्चात कुछ लोग राहत की सांस ले रहे होंगे तो जो मजरूह हुए होंगे वह नहीं राह बनाने की जुगत भीढ़ा रहे होंगे

चलते-चलते चार लाइन सुनते जाइए
किसी सामान्य से गौतम को सिद्धार्थ बना डाला
सहा संयम से जिसने उसको सर्वाेत्तम बना डाला
यह पीड़ा आग है ऐसी तपे मानव बन कंचन
पुरुष थे राम पीड़ाओं ने पुरुषोत्तम बना डाला

जय हिंद जय भारतीय संस्कृति

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