हरतालिका तीज भारत का एक प्रमुख व्रत और त्योहार है, जो खासकर उत्तर भारत, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है और विवाहित व अविवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। #HartalikaTeej #TeejFestival #HartalikaTeej2025 #IndianFestivals #FastingForShivaParvati #HartalikaVrat #HartalikaTeejKatha #HartalikaTeejPuja #ShivaParvati #HinduFestivals #VratKatha #IndianCulture #SawanFestival #BhaktiShorts #TeejSpecial #IndianTradition #SanatanDharma #MahadevBhakti #HartalikaTeejVratKatha #HartalikaTeej2025Date #BhaktiVideo #ShivaShakti #DevotionalShorts #IndianWomenFestival #TeejSongs #VratPuja #HinduDevotional #SanatanFestival #PujaVidhi #MahadevParvati
शब्द “हरतालिका” दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है – “हरित” (हर लेना/अपहरण करना) और “आलिका” (सखी/मित्र)। कथा के अनुसार, माता पार्वती की सखी ने उनका अपहरण कर लिया था ताकि वे विष्णु से विवाह से बच सकें और शिव जी की तपस्या कर सकें। अंततः माता पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
इसी घटना की स्मृति में हरतालिका तीज व्रत का आयोजन किया जाता है।
🌺 हरतालिका तीज का महत्व
आध्यात्मिक महत्व – यह व्रत शिव–पार्वती के पवित्र मिलन और भक्ति का प्रतीक है।
वैवाहिक सुख – विवाहित स्त्रियाँ इस व्रत को अपने पति के दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं।
अविवाहित कन्याओं के लिए – जो अविवाहित होती हैं, वे इस व्रत को आदर्श पति (शिव जी जैसे) पाने की कामना से करती हैं।
संस्कार और परंपरा – यह त्योहार भारतीय संस्कृति, स्त्री शक्ति और भक्ति की अद्भुत झलक प्रस्तुत करता है।
📅 हरतालिका तीज 2025 तिथि और मुहूर्त
हरतालिका तीज भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
तिथि प्रारंभ: [पंचांग अनुसार समय]
तिथि समाप्त: [पंचांग अनुसार समय]
पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त: प्रातःकाल सूर्योदय से पहले अथवा प्रदोष काल (संध्या समय)।
(📌 सही समय जानने के लिए अपने क्षेत्र का स्थानीय पंचांग देखें।)
🙏 व्रत कथा (हरतालिका तीज की कथा)
पौराणिक कथा के अनुसार:
माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की।
उनके पिता हिमवान उनका विवाह विष्णु जी से करना चाहते थे।
माता पार्वती की सखी ने उन्हें अपहरण कर जंगल में ले जाकर तपस्या करने में सहायता की।
माता ने कठोर व्रत और भक्ति से शिवजी को प्रसन्न किया।
अंततः भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
इसलिए इसे हरतालिका तीज कहा जाता है और इस दिन का व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
🌼 पूजा विधि (Hartalika Teej Puja Vidhi)
सुबह की तैयारी – महिलाएँ सुबह स्नान कर नए कपड़े पहनती हैं और श्रृंगार करती हैं।
व्रत संकल्प – निर्जला व्रत (बिना भोजन और जल ग्रहण किए) का पालन किया जाता है।
पूजन सामग्री – भगवान शिव, माता पार्वती और गणेशजी की प्रतिमा या चित्र, फूल, बेलपत्र, फल, मिठाई, सुहाग का सामान।
पूजन प्रक्रिया –
व्रत कथा का श्रवण किया जाता है।
शिव–पार्वती की पूजा की जाती है।
सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं।
जागरण – रात्रि में स्त्रियाँ जागरण करती हैं और भजन-कीर्तन गाती हैं।
व्रत समाप्ति – अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का समापन किया जाता है।
🌸 परंपराएँ और रीति-रिवाज
मेहंदी और श्रृंगार – स्त्रियाँ हाथों में मेहंदी रचाती हैं और दुल्हन की तरह श्रृंगार करती हैं।
पारंपरिक वस्त्र – हरे, लाल और पीले रंग की साड़ियाँ या लहंगे पहनना शुभ माना जाता है।
सिंधारा – विवाहित स्त्रियों को मायके से उपहार (सिंदूर, चूड़ी, मिठाई, कपड़े) भेजे जाते हैं।
सामूहिक उत्सव – महिलाएँ झूले झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और सामूहिक पूजा करती हैं।
🌿 क्षेत्रीय उत्सव
राजस्थान – यहाँ महिलाएँ दुल्हन की तरह सजकर लोकगीत और नृत्य करती हैं।
बिहार और झारखंड – यहाँ महिलाएँ कठोर निर्जला व्रत रखती हैं और कथा श्रवण करती हैं।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश – शिव मंदिरों में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
🎶 भजन और लोकगीत
तीज पर महिलाएँ पारंपरिक लोकगीत और भक्ति भजन गाती हैं, जैसे –
शिव–पार्वती विवाह के गीत
सुहाग और प्रेम पर आधारित लोकधुनें
निर्जला व्रत के महत्व को दर्शाने वाले भजन
🌸 विवाहित और अविवाहित स्त्रियों के लिए तीज
विवाहित महिलाएँ – पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
अविवाहित कन्याएँ – आदर्श पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।
✨ आधुनिक समय में महत्व
आज के समय में भले ही जीवनशैली बदल गई हो, लेकिन हरतालिका तीज का महत्व उतना ही गहरा है। अब महिलाएँ सोशल मीडिया पर भी तीज की पूजा, भजन, श्रृंगार और परंपराओं को साझा करती हैं। यूट्यूब शॉर्ट्स और इंस्टाग्राम रील्स के जरिए यह परंपरा नई पीढ़ी तक पहुँच रही है।
🌺 निष्कर्ष
हरतालिका तीज केवल व्रत नहीं, बल्कि श्रद्धा, प्रेम और समर्पण का पर्व है। यह व्रत माता पार्वती की तपस्या और भगवान शिव की कृपा की याद दिलाता है। यह पर्व स्त्रियों को शक्ति, धैर्य और आशीर्वाद प्रदान करता है।
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