उस दिन UPSC नहीं चुनता तो रिक्शा चलाना पड़ता | IAS Govind Jaiswal | UPSC Motivation | Josh Talks UPSC

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जो UPSC aspirants इस कठिन सफ़र में आ रही मुश्किलों और चुनौतियों से घबरा कर निराश हो गए हैं, उनके लिए IAS गोविंद जायसवाल की UPSC के सफ़र की संघर्ष भरी कहानी उनके अंदर एक बार फिर से जोश भर देगी। I AS गोविंद जायसवाल ने मात्र 22 साल की उम्र में हिंदी माध्यम से अपने पहले ही प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा क्लियर की और AIR 48 रैंक हासिल की।
गोविंद जायसवाल बनारस के एक बेहद साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता श्री नारायण जी, घर के भरण पोषण के लिए रिक्शा चलाते थे। कम आय होने के बावजूद भी नारायण जी बच्चों की शिक्षा का बेहद ख़याल रखते थे।
भारतीय समाज में आज भी किसी का आदर और अनादर उसकी समाज में क्या हैसियत है इस आधार पर किया जाता है। गोविंद एक घटना को याद करते हुए बताते है कि वो किस तरह UPSC के सफ़र की और आकर्षित हुए " जब वो कक्षा 6 में थे तो एक दोस्त के घर खेलने के लिए गए, जहाँ दोस्त के पिता ने उनसे उनके पिता जी के बारे में पूछा, उन्होंने बताया कि वो नारायण जी के बेटे हैं इसके बाद उन्होंने उनके काम के बारे पूछा। गोविंद जी ने बताया कि उनके पिता रिक्शा चलाते हैं, इतना सुनते ही उन्होंने गोविंद जी को अपशब्द बोले और घर से बाहर निकाल दिया। इस एक घटना ने गोविंद जी के बाल मन में एक प्रश्न खड़ा कर दिया कि वो ऐसा क्या करें कि उनके पिता का भी लोग आदर करें। इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ने के लिए वो अपने स्कूल अध्यापक के पास गए और उनसे इसके बारे में पूछा। इतने छोटे बच्चे से इतनी गंभीर बात सुनकर अध्यापक को हसी आ गयी और उन्होंने गोविंद जी को बोला कि अगर अपना बैकग्राउंड बदलना चाहते हो तो, या तो अपना बिज़नेस करो या फिर UPSC की परीक्षा क्लियर करों। उन्होंने गोविंद जी को बोला कि अगर उन्होंने UPSC क्लियर कर लिया तो कोई भी उनका बैकग्राउंड नहीं पूछेगा।
इस एक घटना के बाद गोविंद जी ने तय कर लिया कि उन्हें UPSC ही क्लियर करना है चाहे कुछ भी हो जाए। पढ़ाई के दौरान ही उनकी माता जी का देहांत हो गया, घर की आर्थिक स्थिति बेहद ख़राब हो गई। कोई भी इंसान इस तरह की परिस्थितियों में हार मान लेता, लेकिन गोविंद जी ना तो हार मानी और ना वो पढ़ाई छोड़ी। उन्होंने civil services की तैयारी के लिए दिल्ली जाने की इच्छा पिता को बतायी। उनके पिता ने थोड़ी जो ज़मीन उनके पास थी उसे बेच कर गोविंद जी को दे दी। घर के तमाम हालातों से गोविंद वाकिफ़ थे, वो जानते थे उनके पिता ने कितनी परेशानियां झेल कर भी उनका साथ दिया। उनकी बहनों ने अपने सपनों को त्याग करके उनके सपने को पूरा करने के लिए अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी।
गोविंद जी दिल्ली आए और पूरी शिद्दत के साथ UPSC की तैयारी में लग गए। इसी बीच कई बार ऐसी परिस्थितियां आईं के जहाँ कोई भी इंसान टूट जाए। लेकिन गोविंद जी ने तमाम तरह की परेशानियों को सहन करा और अपना पूरा फ़ोकस upsc पर ही रखा। उन्होंने अपने पहले प्रयास में UPSC Prelims और mains की परीक्षा क्लियर करी। गोविंद जी बताते हैं कि जब UPSC इंटरव्यू में उनको जाना था तब उनके पास कपड़े तक भी नही थे, किसी तरह कपड़ों का जुगाड़ हुआ। अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ उन्होंने इंटरव्यू दिया और पहले ही प्रयास में UPSC क्लियर किया और AIR 48 वीं रैंक हासिल करके अपने और अपनों के सपनो को पूरा किया।

In this video, join us as IAS Govind Jaiswal, an extraordinary individual, shares his awe-inspiring story of resilience and determination. Born into a poverty-stricken family, IAS Govind Jaiswal faced countless hardships from a young age.
Through this motivating and insightful conversation, IAS Govind Jaiswal shares valuable tips and strategies for UPSC preparation, providing invaluable guidance for aspiring candidates. His extraordinary success story serves as a beacon of hope for those pursuing their dreams, especially in the challenging world of civil services.

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