🙏 • गुरु पूर्णिमा विशेष | Guru Purnima 2025 Sp... 🙏🙏 भारतीय मान्यता अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही गुरू पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस समय वातावरण बहुत ही खूबसूरत होता है। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को बर्षा से शीतलता व फसल पैदा करने की शक्ति आती है, वैसे ही गुरू चरणों मे साधक को ज्ञान, शान्ति, भक्ति व योग आदि शक्ति मिलती है। इसी दिन महाभारत के रचियता ब्रह्म स्वरूप श्री ब्यास जी का जन्म हुआ था, जो महान विद्वान व वेद के रचियता भी थे। गुरू का अर्थ वह है, जो शिष्य के अन्दर स्थित अंधकार को समाप्त कर प्रकाश की ओर ले जाये। "अज्ञान तिमिराश्च ज्ञानांजन शलाकया चक्षुन्मीलितम् तस्मै श्री गुरूवे नम:"। ईश्वर का वह अंग, जो विश्व को अध्यात्मिक विकास व शिक्षा की ओर ले जाते हैं, उसे ही गुरू कहते हैं इसे अदृश्य (निर्गुण) गुरू तत्त्व कहते हैं, दूसरा सगुण गुरू, जिन्हें देहधारी गुरू होते हैं। इस मन को मोह लेने वाले गुरुओं को समर्पित गुरु भजन का श्रवण अवश्य करें !!!🙏🙏
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गुरू की महिमा पर आदरणीय संत श्री कबीर जी की कुछ पंक्तियाँ :......
गुरु को कीजै दण्डवत, कोटि कोटि परनाम
कीट ना जाने भ्रूंग को, गुरु करिले आप समान
Guru Ko Keejei Danvat, Koti Koti Pranaam
Kit Na Jaane Bhrung Ko, Guru Karle Aap Samaan
भावार्थ : गुरु को बार बार झुककर प्रणाम करना चाहिए गुरु ही अपने शिष्य को अपने सामान ज्ञानी बना सकते हैं
सतगुरु सम कोई नहीं, सात दीप नौ खण्ड
तीन लोक न पाईये, अरु इक्कीस ब्रह्माण्ड
भावार्थ : Satguru Sam Koi Nahin, Saat Deep Nau Khand
Teen Lok Na Paaiye, Aru Ikkis Brahmand
Kabira Aru Ikkis Brahmand
भावार्थ : सतगुरु से बढ़कर इस संसार में और किसी अन्य लोक में कोई नहीं है
सतगुरु को मानै नहीं, अपनी कहै बनाय
कहै कबीर क्या कीजिए और मता मन माय
Satguru Ko Maane Nahin, Apni Kahe Banaaye
Kahe Kabir Kya Keejiye, Aur Mataa Man Maaye
Kabira Aur Mataa Man Maaye
भावार्थ : जो व्यक्ति अपने गुरु से मार्गदर्शन नहीं लेता है वो कभी भी ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता है
सतगुरु ऐसा कीजिए, लोभ मोह भ्रम नाहीं
सतगुरु ऐसा कीजिए, लोभ मोह भ्रम नाहीं
दरिया सो न्यारा रहे, दीसे दरिया माहीं
कबीरा दिसे दरिया माहीं
Satguru Aesa Keejiye Lobh, Moh, Bhram Naahin
Dariya Do Nyaaye Rahe, Deese Dariya Maahin
Kabira Deese Dariya Maahin
भावार्थ : एक सच्चे गुरु को सांसारिक मोह-माया से दूर रहकर, संसार को ज्ञान का प्रकाश दिखाना चाहिए
गुरु कीजिए जानि के, पानी पीजै छानि
बिना बिचारे गुरु करे, परे चौरासी खानि
Guru Keejiye Jaani Ke, Paani Peejei Chhaani
Bina Bihaare Guru Kare, Pare Chauraasi Khaani
भावार्थ : जिस प्रकार पानी छानकर पिया जाता है उसी प्रकार गुरु का चुनाव एवं हर कार्य में सावधानी रखनी चाहिए
कबीर गुरु की भक्ति बिना, राजा रासभ होय
माटी लदै कुम्हार की, घास न डारै कोय
KABIR GURU KI BHAKTI BINA, RAJA RAASABH HOYE
MAATI LADEI KUMHAAR KI, GHAAS NA DAAREI KOYE
भावार्थ :गुरु की भक्ति के बिना राजा भी अंत में गधे की योनि को प्राप्त होगा, जो कुम्हार की मिट्टी ही ढोएगा और उसे कोई घास भी नहीं डालेगा।
Guru Bhajan: Guru Ki Mahima Kabir Amritwani
Singer: Debashish Dasgupta
Music Director: Shailendra Bhartti
Lyrics: Traditional
Album: Kabir Amritwani Vol.13
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