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Скачать или смотреть मंदिरों की सुरक्षा में सेना क्यों? भाईलोग मंदिरों को आखिर किससे खतरा है?

  • JM News
  • 2025-11-14
  • 544
मंदिरों की सुरक्षा में सेना क्यों? भाईलोग मंदिरों को आखिर किससे खतरा है?
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श्री राम जन्मभूमि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्थाश्री राम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या में स्थित यह पवित्र स्थल, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद (अक्टूबर 2025 तक मुख्य कार्य समाप्त), इसकी सुरक्षा को अत्यंत मजबूत और बहुस्तरीय बनाया गया है। यह व्यवस्था श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बलों और आधुनिक तकनीक के संयोजन से संचालित होती है। सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना, संभावित खतरों से बचाव और सुगम दर्शन है। नीचे विस्तार से जानकारी दी गई है:1. त्रिस्तरीय (तीन स्तर की) सुरक्षा संरचनालाल जोन (Red Zone): मंदिर के सबसे निकटवर्ती क्षेत्र, जिसमें गर्भगृह और मुख्य मंदिर शामिल है। यहां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती है, जो 2023 से मंदिर की प्राथमिक सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही है। CISF एंट्री-एग्जिट पॉइंट्स पर सघन जांच करती है।
पीला जोन (Yellow Zone): मंदिर परिसर के बाहरी हिस्से, जहां स्थानीय पुलिस और प्रोविंशियल आर्म्ड कांस्टेबुलरी (PAC) तैनात हैं। यह जोन दर्शनार्थियों की भीड़ प्रबंधन के लिए उपयोगी है।
बाहरी जोन: पूरे अयोध्या जिले में फैला, जहां उत्तर प्रदेश पुलिस की टीमें और सीनियर अधिकारी निगरानी रखते हैं। हाल के धमकी संदेशों (जैसे अप्रैल 2025 में प्राप्त चेतावनी) के बाद यह जोन और मजबूत किया गया।

2. भौतिक सुरक्षा उपायपरकोटा (Parkota) दीवार: मंदिर के चारों ओर 14 फुट चौड़ी और 4 किलोमीटर लंबी ऊंची सुरक्षा दीवार का निर्माण चल रहा है। यह बहुउद्देशीय क्षेत्र होगी, जिसमें 6 अतिरिक्त मंदिर (जैसे शिव, हनुमान) शामिल होंगे और 25,000 श्रद्धालुओं को समायोजित करने की क्षमता होगी।
पीएम हाउस: परिसर में प्रधानमंत्री के लिए विशेष अतिथि गृह बनाया जा रहा है, जिसमें अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली (जैसे बुलेटप्रूफिंग और निगरानी कक्ष) होगी। यह 25 नवंबर 2025 के ध्वजारोहण समारोह के लिए तैयार है।

3. तकनीकी और निगरानी प्रणालीसीसीटीवी और एआई: पूरे अयोध्या जिले में 10,000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिनमें से कई एआई-आधारित हैं। ये यात्रियों की निगरानी, भीड़ प्रबंधन और संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए उपयोग होते हैं।
एंटी-ड्रोन और जामर सिस्टम: ड्रोन हमलों से बचाव के लिए एंटी-ड्रोन तकनीक और सिग्नल जामर सक्रिय हैं। हाल ही में (नवंबर 2025) ध्वजारोहण से पहले इन्हें और मजबूत किया गया।
मोबाइल फोन प्रतिबंध: मंदिर परिसर में मोबाइल फोन पूरी तरह प्रतिबंधित हैं, ताकि गोपनीयता और सुरक्षा बनी रहे। श्रद्धालु क्लोक रूम सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।

4. कर्मबल और तैनातीCISF, CRPF, PAC और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीमें 24x7 निगरानी रखती हैं। विशेष अवसरों (जैसे प्राण प्रतिष्ठा, जनवरी 2024) पर हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं।
NDRF और SDRF टीमें सरयू नदी तट पर तैनात रहती हैं, बाढ़ या आपदा से बचाव के लिए।
हाल के खतरों (जैसे जुलाई 2025 में JeM की धमकी) के बाद हाई अलर्ट मोड अपनाया गया, जिसमें बम स्क्वायड और कैनाइन यूनिट्स शामिल हैं।

5. विशेष आयोजनों के दौरान सुरक्षाप्राण प्रतिष्ठा (जनवरी 2024) और ध्वजारोहण (नवंबर 2025) जैसे कार्यक्रमों में सुरक्षा को चरम स्तर पर ले जाया जाता है। वैकल्पिक मार्ग, ट्रैफिक डायवर्जन और मल्टीलिंगुअल पुलिसकर्मी (सादी वर्दी में) तैनात होते हैं।
13 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के दर्शन (2024 तक) के बावजूद, कोई बड़ी घटना नहीं हुई, जो व्यवस्था की मजबूती दर्शाता है।

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