कबीर साहब के दोहे || अद्वैत महोत्सव, दिसम्बर 2021

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कबीर साहब के दोहे

मन के बहुतक रंग हैं, क्षण-क्षण बदले सोय।
एक रंग में जो रंगे, ऐसा बिरला कोय ॥

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवायो खाय ।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय ॥

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