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Скачать или смотреть आखिर क्यों घर में गणेश जी की दाई सूंड वाली मूर्ति स्थापित नहीं करते ?

  • सीता राम हनुमान 🙏
  • 2025-08-30
  • 199
आखिर क्यों घर में गणेश जी की दाई सूंड वाली मूर्ति स्थापित  नहीं करते ?
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Описание к видео आखिर क्यों घर में गणेश जी की दाई सूंड वाली मूर्ति स्थापित नहीं करते ?

भगवान गणेश हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ कार्य और पूजा को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जैसा कि सभी जानते हैं कि भगवान श्री गणेश सुख-समृद्धि के देवता हैं और उनकी कृपा से जीवन के सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं, इसलिए लोग घर के मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति रखते हैं। यूं तो गणेश जी की सूंड को लेकर अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग धारणाएं हैं। हमने अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति हमेशा बायीं और मुड़ी हुई देखी है। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिण दिशा की ओर सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति घर में नहीं रखी जाती है। यदि गणेश जी की मूर्ति की सूंड दक्षिण दिशा की ओर मुड़ी हुई हो तो यह शुभ नहीं होता है। वह मूर्ति अपने आप टूट जाती है।


आमतौर पर गणेश जी की मूर्ति में दक्षिण की ओर सूंड केवल मंदिरों में ही देखी जाती है। कहा जाता है कि गणेश जी की दक्षिणमुखी मूर्ति की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। अगर उस पूजा में कोई गलती हो जाए तो गणेश जी नाराज भी हो सकते हैं। लेकिन अगर हम भगवान गणेश की दक्षिण दिशा की ओर सूंड वाली मूर्ति की पूजा करते हैं तो भगवान गणेश की कृपा हम पर लगातार बनी रहती है। दक्षिण मुखी सूंड वाली मूर्ति की अगर सही विधि से पूजा की जाए तो यह मनोवांछित फल देती है। आइए ज्योतिष चिराग बेजान दारूवाला से जानते हैं कि गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए।Aक

Hindi Newsधर्मगणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए, दाईं या बाईं ? इनमें से कौन सी दिशा अधिक शुभ ?

गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए, दाईं या बाईं ? इनमें से कौन सी दिशा अधिक शुभ ?

गणेश जी की सूंड को लेकर अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग धारणाएं हैं। आइए ज्योतिष चिराग बेजान दारूवाला से जानते हैं कि गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए।

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Image Source : INDIA TVगणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए?

Written By : Chirag Bejan Daruwalla ,

Edited By : Sushma Kumari,

Published : Jun 22, 2023 16:42 IST,Updated : Jun 22, 2023 16:42 IST

Ganesh Ji Sund Disha: भगवान गणेश हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ कार्य और पूजा को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जैसा कि सभी जानते हैं कि भगवान श्री गणेश सुख-समृद्धि के देवता हैं और उनकी कृपा से जीवन के सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं, इसलिए लोग घर के मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति रखते हैं। यूं तो गणेश जी की सूंड को लेकर अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग धारणाएं हैं। हमने अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति हमेशा बायीं और मुड़ी हुई देखी है। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिण दिशा की ओर सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति घर में नहीं रखी जाती है। यदि गणेश जी की मूर्ति की सूंड दक्षिण दिशा की ओर मुड़ी हुई हो तो यह शुभ नहीं होता है। वह मूर्ति अपने आप टूट जाती है।

आमतौर पर गणेश जी की मूर्ति में दक्षिण की ओर सूंड केवल मंदिरों में ही देखी जाती है। कहा जाता है कि गणेश जी की दक्षिणमुखी मूर्ति की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। अगर उस पूजा में कोई गलती हो जाए तो गणेश जी नाराज भी हो सकते हैं। लेकिन अगर हम भगवान गणेश की दक्षिण दिशा की ओर सूंड वाली मूर्ति की पूजा करते हैं तो भगवान गणेश की कृपा हम पर लगातार बनी रहती है। दक्षिण मुखी सूंड वाली मूर्ति की अगर सही विधि से पूजा की जाए तो यह मनोवांछित फल देती है। आइए ज्योतिष चिराग बेजान दारूवाला से जानते हैं कि गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए।

ऐसी मूर्ति होती है बेहद शुभ

जब भी आप घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें तो ध्यान रखें कि गणेश जी की सूंड बाएं हाथ की ओर होनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसी मूर्ति से घर में सकारात्मकता बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आप घर में सीधी सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित कर सकते हैं। ऐसी मूर्ति से घर का माहौल खुशनुमा रहता है और सुख-शांति बनी रहती है।

किस तरफ होनी चाहिए सूंड? 

कुछ मूर्तियों में गणेश जी की सूंड बाईं ओर तो कुछ में दाईं ओर दिखाई जाती है। गणेश जी की अधिकांश मूर्तियां सीधी अथवा उत्तर दिशा की ओर सूंड वाली होती हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है तो वह टूट जाती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर संयोग से आपको दक्षिणावर्ती मूर्ति मिल जाए और उसकी विधिवत पूजा की जाए तो आपको मनोवांछित फल मिलता है।  गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाओं से दिखाई देती है, जब सूंड दाईं ओर मुड़ती है तो माना जाता है कि यह पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित है। विघ्न विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्रता और शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए ऐसी मूर्ति की पूजा फलदायी मानी जाती है। वहीं बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली मूर्ति इड़ा नाड़ी और चंद्रमा से प्रभावित मानी जाती है। स्थाई कार्यों के लिए ऐसी मूर्ति की पूजा की जाती है। जैसे शिक्षा, धन, व्यापार, प्रगति, संतान सुख, विवाह, रचनात्मक कार्य और पारिवारिक सुख।

सीधी सूंड वाली मूर्ति सुषुम्रा स्वर वाली मानी जाती है और इसकी पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुंडलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। संत समाज ऐसी मूर्ति की ही पूजा करता है, दाहिनी ओर सूंड वाली मूर्ति होती है। सिद्धि विनायक मंदिर, यही कारण है कि इस मंदिर की आस्था और आय आज चरम पर है। जिस मूर्ति में सूंड दाहिनी ओर होती है उसे दक्षिणा मूर्ति कहा जाता है। दाहिना भाग जो यमलोक की ओर जाता है वह सूर्य की नाड़ी का दाहिना भाग है।

बाईं सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति की विशेषता

यदि गणेश जी की सूंड बाईं ओर मुड़ी हुई दिखाई दे तो हम इसे इड़ा या चंद्र से प्रभावित मानते हैं। जो हमारा बायां स्वर है. यह हमारी इड़ा नाड़ी का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य और चंद्रमा की सांसों के आदान-प्रदान के दौरान हमारी नाक में दो स्वर चलते हैं।

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