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Скачать или смотреть MP: आज भी बुरहानपुर के इस मंदिर में आते हैं अश्वत्थामा, चढ़ाते हैं फूल

  • Oneindia Madhya Pradesh-Chhattisgarh
  • 2021-08-02
  • 67
MP: आज भी बुरहानपुर के इस मंदिर में आते हैं अश्वत्थामा, चढ़ाते हैं फूल
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Описание к видео MP: आज भी बुरहानपुर के इस मंदिर में आते हैं अश्वत्थामा, चढ़ाते हैं फूल

नेपानगर के असीरगढ़ पर अश्वत्थामा का नियमित आना और भगवान शिव के मंदिर में रोज सुबह ताजा फूल चढ़ाना सही सा लगता है। कई धार्मिक किताबों में इसका वर्णन है। कई साल पहले एक आदिवासी युवक ने कहा था कि उन्होने अश्वत्थामा को देखा है। साढ़े सात फीट की कद काठी सफेद बाल, सफेद कपडे और सफेद घोडे पर अश्वत्थामा को उसने देखा और उसकी नजरें भी पूरी तरह से सही सलामत है। ऐसा माना जाता है अगर अश्वत्थामा को कोई देख ले और अश्वत्थामा की नजर उसकी नजरों से मिल जाए तो वह अंधा हो जाता है। इस घटना के कई सालों बाद उनका असीरगढ़ किले पर सुबह सुबह जाना हुआ। यहां के शिव मंदिर में प्रवेश करने पर नंदी पर तो धूल थी लेकिन शिव मंदिर में ऐसी सफाई थी जैसे अभी कोई यहां से दर्शन करके गया हो और फूल ऐसा अर्पित किया गया था जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। उसके बाद ऐसा फूल नहीं देखा इससे यह प्रतीत होता है कि अश्वत्थामा असीरगढ के शिवमंदिर में रोजाना सुबह सुबह आते है और फूल चढा कर चले जाते है
बाइट:-01 होशांग हवलदार - इतिहासकार
बताया जाता है कि अश्वत्थामा महाभारतकाल अर्थात द्वापरयुग में जन्मे थे। उनकी गिनती उस युग के श्रेष्ठ योद्धाओं में होती थी। वे गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र व कुरु वंश के राजगुरु कृपाचार्य के भानजे थे। द्रोणाचार्य ने ही कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या सिखाई थी।

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