राहु काल का महत्व और उसके गणना की सटीक विधि | What is Rahukal and its Importance | Easy Calculation

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राहु काल का महत्व और उसके गणना की सटीक विधि

भारतीय ज्योतिष के मुहूर्त शास्त्र में राहुकाल एक बहुचर्चित मुहूर्त है। उत्तर भारतीय लोग तो इसका ध्यान देते ही हैं परंतु दक्षिण भारत में इसका सर्वाधिक प्रचलन है।

राहु काल में कोई भी शुभ काम प्रारंभ करना अच्छा नहीं माना जाता है। पहले से चले आ रहे कार्यों को जारी रख सकते हैं।

रविवार से लेकर सोमवार तक सप्ताह के प्रत्येक वार के दिन में लगभग डेढ़ घंटे का राहुकाल का समय होता है। सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन के फलस्वरूप दिन और रात छोटे और बड़े होते हैं इसलिए राहुकाल का समय घटता और बढ़ता है। साथ ही साथ अक्षांश और देशांतर के आधार पर विभिन्न स्थानों के सूर्योदय और सूर्यास्त में अंतर होता है, जिसके कारण अलग-अलग स्थानों पर राहुकाल का समय भी अलग अलग होता है।

विभिन्न पंचांगों में और विभिन्न पुस्तकों में राहु काल का स्थूल समय दिया गया होता है परंतु स्थानीय सूर्योदय और सूर्यास्त के अनुसार राहु काल के समय की वास्तविक गणना ज्योतिष के गणितीय पक्ष से की जा सकती है।

प्रस्तुत वीडियो में राहुकाल क्या है? इसका महत्व, राहु काल में क्या करें और क्या ना करें? साथ ही किसी भी स्थान का वास्तविक राहु काल के समय का प्रारंभ और समाप्ति काल निकालने की बहुत ही आसान और सटीक विधि बताई गई है।

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बहुत-बहुत धन्यवाद।

डॉ आर के पाठक "मयंक"

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