किसानों की किस्मत चमकाने को तैयार KALA NAMAK RICE की फसल। जैविक खेती से 210 कल्ले उगाने में सफलता।

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बस्ती जिले में इस साल लगभग 5000 बीघा #कालानमकधान की खेती हुई है। इसका कारण देश दुनियाँ में इसकी भारी मांग और और जबरदस्त रेट के चलते हुआ है। कालानमक चावल सुगंध, स्वाद और सेहत से भरपूर है. बस्ती ज़िले में पैदा होने वाले काला नमक धान को सरकार ने लीगल राइट प्रदान किया है। यानी इसे बस्ती का वर्जिन मानते हुए जी आई टैग प्रदान किया गया है। इसी के साथ संत कबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज जिलों को जीआई (Geographical Indication) टैग मिला है. ये जिले ही काला नमक चावल का उत्पादन और बिक्री दोनों कर सकते हैं. अन्य जिलों के लोग खाने के लिए उगा सकते हैं लेकिन काला नमक के नाम पर बिजनेस नहीं कर सकते.

जियोग्राफिकल इंडीकेशन का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिए किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है. इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण ही होती है.

जीआई लेने के अलावा इस चावल का प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैराइटी एंड फॉमर्स राइट एक्ट (PPVFRA) के तहत भी रजिस्ट्रेशन करवाया गया है. ताकि काला नमक चावल के नाम का दूसरा कोई इस्तेमाल न कर सके.
यही वजह है कि बस्ती जिले में 5000बीघे में इसकी खेती हो रही है. अब जीआई टैग हासिल करने वाले 11 जिलों में बस्ती जिले में सबसे ज्यादा एरिया है. काला नमक धान बौना होने के बाद पैदावार बढ़ी और किसान फायदे में आने लगे तब जाकर रकबा बढ़ना शुरू हुआ. इस रकबे के बढ़ने के पीछे कृषि विज्ञान केंद्र बस्ती और सिद्धार्थ फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के बड़ा योगदान माना जा रहा है।

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