रामायण - EP 15 - श्रीराम-कौशल्या संवाद, वन गमन की तैयारी

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Ramayana - Episode 15 - Shriram-Kaushalya Discussions. Preparation of exile

अपने वचनों से बंधे राजा दशरथ कैकेयी भवन में निढ़ाल पड़े हैं। उनका बुलावा पाकर राम वहा पहुँचते हैं। वे पिता को पीड़ा में देखकर माता कैकेयी से इसका कारण पूछते हैं। कैकयी कड़वे वचन बोलती है। वो कहती है कि उनके पिता ने उसे दो वर दिये थे। अब यह वर पूरे करने में उनका पुत्र मोह आड़े आ रहा है। लेकिन यदि वर पूरे नहीं करते हैं तो धर्म और सत्य पर कलंक लगता है। राम के पूछने पर कैकेयी भरत के राजतिलक और उनके वनागमन का वरदान माँगने की बात बताती है। राम दोनों वरदानों को अपने लिये शुभंकारी बताते हैं। राम कहते हैं कि भरत जैसे भाई को राजपाट देने में उन्हें कोई संकोच नहीं है और वनवास के दौरान तेजस्वी ऋषियों मुनियों के बीच रहना तो उनके लिये कल्याणकारी होगा। राम माता कौशल्या और सुमित्रा से वनागमन के लिये आज्ञा लेने हेतु कैकेयी भवन से प्रस्थान करते हैं। वे द्वार पर राजछत्र का त्याग कर संकेत देते हैं कि अब वे राजा नहीं बनने जा रहे हैं। राम माता कौशल्या को पिता के वचन के बारे में बताते हैं और वनागमन के लिये विदा करने को कहते हैं। कौशल्या को अपने कानों पर विश्वास नहीं होता। वे चक्कर खा जाती हैं। उनके हाथों से पूजा का थाल गिर जाता है। राम उन्हें सम्भालते हैं, रघुकुल की रीति का स्मरण कराते हैं। कैकेयी के वरदान का समाचार सीता तक भी पहुँचता है। वे माता कौशल्या के भवन में आती है और घोषणा करती हैं कि पत्नी धर्म निभाने के लिये वे भी वन जायेंगी। राम मना कर देते हैं। इस पर सीता अपनी चिता जलाने की बात कहकर उन्हें राजी कर लेती हैं। तभी लक्ष्मण हाथों में धनुष बाण लेकर वहाँ पहुचते हैं और कैकेयी के प्रति कटु वचन बोलते हैं। लक्ष्मण भरत को राज्य दिये जाने पर विद्रोह का ऐलान कर देते हैं। राम इससे नाराज होते हैं। वे लक्ष्मण को पिता दशरथ के धर्म संकट और माता कैकेयी की कुबुद्धि के पीछे प्रारब्ध के खेल को समझाते हैं। तब लक्ष्मण भी भैया राम के साथ वन जाने का हठ करते हैं। राम इनकार करते हैं लेकिन तभी छोटी माता सुमित्रा का वहाँ आगमन होता है और वे लक्ष्मण को आदेश देती हैं कि वो राम के साथ वन जायें और उनकी सेवा करें। अब राम ही उनके पिता हैं और सीता माता। लक्ष्मण अपनी माँ पर गर्व करते हैं। कौशल्या को इससे सांत्वना मिलती है। वे लक्ष्मण को सुमित्रा और उर्मिला की धरोहर बताती है और राम से लक्ष्मण की सकुशल वापसी का वचन लेती हैं।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है। इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है।

निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार

Ramayan is an Indian television series based on ancient Indian Sanskrit epic of the same name. The show was originally aired between 1987 and 1988 on DD National. It was created, written, and directed by Ramanand Sagar. The show is primarily based on Valmiki's 'Ramayan' and Tulsidas' 'Ramcharitmanas'. The series had a viewership of 82 per cent, a record high for any Indian television series. The series was re-aired during the 2020 Coronavirus lockdown and broke several viewership records globally which includes setting the record for one of the most watched TV shows ever in the world, with 77 million viewers on 16 April 2020.

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