Hindi Kavita || अंधेरी रात || हिंदी कविता || रात की भयानक तस्वीर || by

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जीवन में रात दिन अपना एक अहम किरदार अदा करते है, शायद इनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते!

अपने अपने किरदार सभी निभाते है, हाँ ये अलग बात है कि उन किरदारों के चेहरे अलग हो जाते है! मनुष्य जीवन में सभी की अपनी एक कहानी है, अपना एक रूप है, अपनी एक पहचान है !

आज हम रात की बात करेंगे और उसके उस रूप से मुख़ातिब होंगे जो शायद हमने सभी ने देखें ज़रूर होंगे या सुना ज़रूर होगा उनके बारे में लेकिन शायद कभी कल्पना न की होगी!

:- काला था आसमान हवा चल रही थी,
:- न शब्द न शब्दों की बात थी,
:- मारे डर के प्राण सूखे जा रहे थे,
:- वो एक अंधेरी रात थी,

आज की हमारी कविता का आपको ऊपर लिखी कुछ पंक्तियों से अंदाज़ा हो ही गया होगा! जी हाँ हमारी आज की कविता है ‘अंधेरी रात’ जो रात के भयानक, रोमांच और डर से भरे होने का प्रमाण देती है !

तो आइए बिना देरी किये लुत्फ़ उठाते है आज की कविता है, हम आशा और उम्मीद करते है के आपको ये कविता पसंद आएगी!

_यशपाल सिंह

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