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Скачать или смотреть नर्मदा किनारी पार्थिव शिवलिंग पूजन ! Parthiv Shivling Pujan vidhi

  • नर्मदे हर. Sakhare
  • 2023-08-23
  • 268
नर्मदा किनारी  पार्थिव  शिवलिंग  पूजन ! Parthiv Shivling Pujan vidhi
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Описание к видео नर्मदा किनारी पार्थिव शिवलिंग पूजन ! Parthiv Shivling Pujan vidhi

प्रत्यक्ष नर्मदा किनारी पार्थिव शिवलिंगाचे पूजन करायचा योग आला नसला, तरी पूजन बघून कृतार्थ व्हा!!!भगवान शिव के पार्थिव पूजन की सरल विधि!!!*

कलियुग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करोड़ों यज्ञों का फल देने वाली मानी गयी है । भगवान शिव का किसी पवित्र स्थान पर किया गया पार्थिव पूजन भोग और मोक्ष दोनों देने वाला है ।

शिवपुराण के अनुसार पार्थिव पूजन की एक वैदिक रीति है । वेदपाठी ब्राह्मणों को वैदिक रीति से शिवलिंग का पूजन करना चाहिए परन्तु सर्वसाधारण को दूसरी रीति से पूजन करना चाहिए ।

पूजन में ध्यान रखने योग्य बातें!!!!!!!

▪️पार्थिव पूजन के लिए स्नान, शिखा बंधन आदि से निवृत्त होकर पहले भस्म और रुद्राक्ष की माला धारण कर लेनी चाहिए । यदि भस्म न हो तो शुद्ध मिट्टी का त्रिपुण्ड मस्तक पर लगा लेना चाहिए ।

▪️शिव पूजन सदैव उत्तर की ओर मुख करके ही करना चाहिए ।

▪️पूजा की सभी सामग्री पास ही रख लें । पूजन के बीच में उठना नहीं चाहिए ।

▪️पार्थिव पूजा के लिए शिवलिंग निर्माण के लिए मिट्टी पवित्र स्थान की होनी चाहिए । शमी या पीपल की जड़ की मिट्टी या विमौट (वल्मीक) अच्छी मानी जाती है या किसी पवित्र जगह से ऊपर के चार अंगुल मिट्टी हटाकर भीतर की मिट्टी लें या पवित्र नदियों के तटों की मिट्टी ले सकते हैं । जहां जो मिट्टी मिल जाये, उसी से शिवलिंग बनायें ।

▪️शिवपूजन में बिल्वपत्र अवश्य होने चाहिए ।

▪️पूजन में जिस सामग्री की कमी हो, उसको मानसिक भावना करके चढ़ा देनी चाहिए या उसके विकल्प के रूप में पुष्प व चावल चढ़ा दें ।

सर्वसाधारण के लिए पार्थिव शिवलिंग के पूजन की विधि!!!!!!!

शिवपुराण में पार्थिव लिंग की पूजा भगवान शिव के नामों से बतायी गयी है जो सभी कामनाओं को पूरा करती है । इस प्रकार की पार्थिव पूजा भगवान शिव के आठ नामों— हर, महेश्वर, शम्भु, शूलपाणि, पिनाकधृक्, शिव, पशुपति और महादेव —के साथ की जाती है ।।

▪️सर्वप्रथम रक्षादीप जला लें । आचमन करके पवित्री धारण करें । (पवित्री न होने पर अंगूठी सीधे हाथ की अनामिका अंगुली में पहन लें ।)

▪️पूजन से पहले हाथ में पुष्प, अक्षत व जल लेकर संकल्प करें–’हे देव ! मैं आपका पार्थिव पूजन करना चाहता हूँ, आपकी कृपा से यह निर्विघ्न पूर्ण हो ।’ संकल्प सकाम या निष्काम दोनों हो सकता है ।

▪️भगवान शिव के प्रथम नाम हराय नम:’ का उच्चारण करके पार्थिव लिंग बनाने के लिए मिट्टी लें । मिट्टी को छानकर कंकड़ आदि निकाल दें । जल मिलाकर मिट्टी को गूंथ लें ।

▪️दूसरे नाम महेश्वराय नम:’ का उच्चारण करके लिंग का निर्माण करें । शिवलिंग तीन प्रकार के कहे गये हैं—जो शिवलिंग चार अंगुल ऊंचा और देखने में सुन्दर हो तथा वेदी से युक्त हो उसे ‘उत्तम’ कहा गया है । उससे आधे शिवलिंग को ‘मध्यम’ और उससे भी आधे को ‘अधम’ माना गया है ।

‘हे शिव इह प्रतिष्ठितो भव ।’ —
बोलकर पार्थिव लिंग की प्रतिष्ठा करें
▪️षडक्षर-मन्त्र से अंगन्यास और करन्यास करना चाहिए—

करन्यास !!!!!!!!

अंगुष्ठाभ्यां नम: (दोनों हाथों की तर्जनी अंगुलियों से दोनों अंगुठों का स्पर्श करना चाहिए ।)

नं तर्जनीभ्यां नम: (दोनों हाथों के अंगूठों से दोनों तर्जनी अंगुलियों का स्पर्श करना चाहिए ।)

मं मध्यमाभ्यां नम: (दोनों अंगूठों से दोनों मध्यमा अंगुलियों का स्पर्श करना चाहिए ।)

शिं अनामिकाभ्यां नम: (दोनों अंगूठों से दोनों अनामिका अंगुलियों का स्पर्श करना चाहिए ।)

वां कनिष्ठिकाभ्यां नम: (दोनों अंगूठों से दोनों कनिष्ठिका अंगुलियों का स्पर्श करना चाहिए ।)

यं करतलकरपृष्ठाभ्यां नम: (हथेलियों और उनके पृष्ठभागों का परस्पर स्पर्श ।)

अंगन्यास !!!!

हृदयाय नम: (दाहिने हाथ की पांचों अंगुलियों से हृदय का स्पर्श करें ।)

नं शिरसे स्वाहा (दाहिने हाथ से सिर का स्पर्श करें ।)

मं शिखायै वषट् (दाहिने हाथ से शिखा का स्पर्श करें ।)

शिं कवचाय हुम् (दाहिने हाथ की अंगुलियों से बांये कन्धे का और बांयें हाथ की अंगुलियों से दाहिने कंधे का स्पर्श करें ।)

वां नेत्रत्रयाय वौषट् (दाहिने हाथ की अंगुलियों के अग्रभाग से दोनों नेत्रों और ललाट के मध्यभाग का स्पर्श करें ।)

यं अस्त्राय फट् (इस वाक्य को पढ़कर दाहिने हाथ को सिर के ऊपर से बायीं ओर से पीछे की ओर ले जाकर दाहिने ओर से आगे की ओर ले आएं और तर्जनीव मध्यमा अंगुलियों से बायीं हथेली पर ताली बजायें ।)।

▪️इसके बाद भगवान गणेश और माता पार्वती को नमस्कार करें–


🚩 हर हर महादेव 🚩

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