Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть Ujjain Mahakaleshwar jyotirlinga | Ujjain Temple Darshan Vlog | Mahakaleshwar & Mahakal Temple

  • Deepak Sawan Choreographer
  • 2023-07-23
  • 12238
Ujjain Mahakaleshwar jyotirlinga | Ujjain Temple Darshan Vlog | Mahakaleshwar & Mahakal Temple
Mahakaleshwar TempleMahakal UjjainUjjain Mahakaleshwar jyotirlingaMahakaleshwar Ujjain TempleUjjain Tourist PlacesMahakal TempleBhasma AartiBhasm AartiBhasma Aarti DarshanMahakalmahakalimahakaleshwar live darshanMahakal live
  • ok logo

Скачать Ujjain Mahakaleshwar jyotirlinga | Ujjain Temple Darshan Vlog | Mahakaleshwar & Mahakal Temple бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно Ujjain Mahakaleshwar jyotirlinga | Ujjain Temple Darshan Vlog | Mahakaleshwar & Mahakal Temple или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку Ujjain Mahakaleshwar jyotirlinga | Ujjain Temple Darshan Vlog | Mahakaleshwar & Mahakal Temple бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео Ujjain Mahakaleshwar jyotirlinga | Ujjain Temple Darshan Vlog | Mahakaleshwar & Mahakal Temple

Ujjain Mahakaleshwar jyotirlinga | Ujjain Temple Darshan Vlog | Mahakaleshwar & Mahakal Temple
.
.
.
.
.
भस्म आरती को लेकर मान्यताएं
कहा जाता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है इसलिए आरती सुबह 4 बजे की जाती है. वर्तमान समय में महाकाल की भस्‍म आरती में कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़‌ियों को जलाकर तैयार क‌िए गए भस्‍म का इस्तेमाल क‌िया जाता है

उज्जैन के कालों के काल महाकाल बाबा के मंदिर में प्रतिदिन अलसुबह भस्म आरती होती है। भस्म को शिवजी का वस्त्र माना जाता है। किसी भी पदार्थ का अंतिम रूप भस्म होता है। किसे भी जलाओ तो वह भस्म रूप में एक जैसा ही होगा। मिट्टी को भी जलाओ तो वह भस्म रूप में होगी। सभी का अंतिम स्वरूप भस्म ही है। भस्म इस बात का संकेत भी है कि सृष्टि नश्वर है। शिवजी भस्म धारण करके सभी को यही बताना चाहते हैं कि इस देह का अंतिम सत्य यही है। आओ जानते हैं भस्मारती के 15 रहस्य।


भस्म आरती के राज :
1. महाकाल की 6 बार आरती होती हैं, जिसमें सबसे खास मानी जाती है भस्‍म आरती।

2. सबसे पहले भस्म आरती, फिर दूसरी आरती में भगवान शिव घटा टोप स्वरूप दिया जाता है। तीसरी आरती में शिवलिंग को हनुमान जी का रूप दिया जाता है। चौथी आरती में भगवान शिव का शेषनाग अवतार देखने को मिलता है। पांचवी में शिव भगवान को दुल्हे का रूप दिया जाता है और छठी आरती शयन आरती होती है। इसमें शिव खुद के स्‍वरूप में होते हैं।


3. भस्‍म आरती यहां भोर में 4 बजे होती है।

4. इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है।

5. इस आरती में शामिल होने के लिए पहले से बुकिंग की जाती है।

6. इस आरती में महिलाओं के लिए साड़ी पहनना जरूरी है।


7. जिस वक्‍त शिवलिंग पर भस्‍म चढ़ती है उस वक्‍त महिलाओं को घूंघट करने को कहा जाता है।


8. मान्‍यता है कि उस वक्‍त भगवान शिव निराकार स्‍वरूप में होते हैं और इस रूप के दर्शन महिलाएं नहीं कर सकती।


9. पुरुषों को भी इस आरती को देखने के लिए केवल धोती पहननी होती है। वह भी साफ-स्‍वच्‍छ और सूती होनी चाहिए।

10. पुरुष इस आरती को केवल देख सकते हैं और करने का अधिकार केवल यहां के पुजारियों को होता है।


11. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार दूषण नाम के एक राक्षस की वजह से अवंतिका में आतंक था। नगरवासियों के प्रार्थना पर भगवान शिव ने उसको भस्म कर दिया और उसकी राख से ही अपना श्रृंगार किया। तत्पश्चात गांव वालों के आग्रह पर शिवजी वहीं महाकाल के रूप में बस गए। इसी वजह से इस मंदिर का नाम महाकालेश्‍वर रख दिया गया और शिवलिंग की भस्‍म से आरती की जाने लगी।


12. ऐसा भी कहते हैं कि यहां श्‍मशान में जलने वाली सुबह की पहली चिता से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है, परंतु इसकी हम पुष्टि नहीं कर सकते हैं।

13. यह भी कहा जाता है कि इस भस्‍म के लिए पहले से लोग मंदिर में रजिस्‍ट्रेशन कराते हैं और मृत्‍यु के बाद उनकी भस्‍म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है।

14. हालांकि यह भी कहा जाता है कि श्रौत, स्मार्त और लौकिक ऐसे तीन प्रकार की भस्म कही जाती है। श्रुति की विधि से यज्ञ किया हो वह भस्म श्रौत है, स्मृति की विधि से यज्ञ किया हो वह स्मार्त भस्म है तथा कण्डे को जलाकर भस्म तैयार की हो तो वह लौकिक भस्म कही जाती है। विरजा हवन की भस्म सर्वोत्कृष्ट मानी है।


15. हवन कुंड में पीपल, पाखड़, रसाला, बेलपत्र, केला व गऊ के गोबर को भस्म (जलाना) करते हैं। इस भस्म की हुई सामग्री की राख को कपड़े से छानकर कच्चे दूध में इसका लड्डू बनाया जाता है। इसे सात बार अग्नि में तपाया और फिर कच्चे दूध से बुझाया जाता है। इस तरह से तैयार भस्मी को समय-समय पर लगाया जाता है। यही भस्मी नागा साधुओं का वस्त्र होता है। इसी तरह की भस्म से आरती भी होती है।
वेबदुनिया पर पढ़ें
समाचारबॉलीवुडज्योतिषलाइफ स्‍टाइलधर्म-संसारमहाभारत के किस्सेरामायण की कहानियांरोचक और रोमांचक

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]