तुम मेरे थे मेरे हो मेरे रहोगे, बहकूँ न अब बहकाने से | {With Hindi Subtitles}

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तुम मेरे थे मेरे हो मेरे रहोगे, बहकूँ न अब बहकाने से |

जब समझ प्रेम में डूब गई, तब क्या होगा समझाने से |

तुम को ही तन मन धन अरपन,
तुम ही इक मेरे जीवन धन,

अब पीछे नहीं हटेगा पग, पिय ! विरह चोट उर खाने से |

दे दो ऐसी विरह वेदना,
मिटि जाये मम अहं चेतना,

और अधिक चमकेगा सोना, पुनि पुनि अगिनि तपाने से |

आ या ना आ मुरली वारे,
रो रो कर हम तुम्हें पुकारें,

प्रेम बढ़ेगा छिन छिन मेरा, यूँ तेरे तड़पाने से |

पिय ! तुम से ही प्रीति लगाई,
पर झोली भी संग नहिँ लाई,

इक बार लगा लो सीने से, बलिहार जाउँ अपनाने से |

चाहे मम आलिंगन कर लो,
चाहे मम प्रानन ही हर लो,

चाहे जी भर कर तड़पा लो, मोहिँ काम श्याम गुन गाने से |

इक दिन प्रेम रंग लायेगा,
पिय ! तुम को भी तडपायेगा,

मैं हूँ सखी किशोरी जू की, नाता मम बरसाने से |

तुम हार मान लो बनवारी,
बदनाम न हो जाये यारी,

हारोगे, हारे हो सब दिन, पछिताओगे इतराने से |

तू ही तो सब कुछ मेरा है,
यह कहा हुआ भी तेरा है,

जग में भी बढ़ता प्यार सदा, पिय के घर आने जाने से |

लख चौरासी स्वाँग बनाये,
नट ज्यों बहु विधि खेल दिखाये,

अब तो अपने पास बुला लो, रीझोगे न रिझाने से |

क्यों चुप हो पिय ! कुछ तो बोलो,
भंडार कृपा का अब खोलो,

हो जाय न कहुँ अंधेर देर महँ, इतनी देर लगाने से |

चुप का मतलब अब समझ लिया,
आखिर पिय ने अपना ही लिया,

आशा तो पहले से ही थी, बिनु हेतु 'कृपालु' कहाने से ||

~~जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज

Composed by Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj
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