धातु व क्रियार्थक संज्ञा(kriyarthak Sangya)

Описание к видео धातु व क्रियार्थक संज्ञा(kriyarthak Sangya)

क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं ! चलना/चलकर/चलती/चलता/चलते इत्यादि शब्दों में "चल" मूल शब्द है इसी को धातु कहते हैं ! 'धातु' में 'ना' जोड़ने से क्रिया का साधारण रूप बनता है ; (चल+ना=चलना) लेकिन वह साधारण रूप, कोई विधान प्रस्तुत नही कर सकता अतः वह क्रिया नहीं होती ; वह कभी कभी संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हो जाती है उसी को क्रियार्थक संज्ञा कहते हैं ! जैसे
1) - वह पढ़ना सीखता है !
इस वाक्य में 'सीखना' क्रिया है , 'पढ़ना' क्रिया नहीं है ; 'पढ़ना' तो संज्ञा है , अतः क्रिया का जो सामान्य रूप संज्ञा के तरह प्रयुक्त होता है उसे ही 'क्रियार्थक संज्ञा' कहते हैं!
क्रियार्थक संज्ञा भाव वाचक संज्ञा होती है !
कई बार धातु भी भाव वाचक संज्ञा की तरह प्रयुक्त होती है जैसे 1) - आज घोड़ों की दौड़ हुई !
2) - हम नाच नहीं देखते !
इन दोनों वाक्यों में क्रमशः दौड़ तथा नाच धातुएं है जो संज्ञा की तरह प्रयुक्त हुई है !

Комментарии

Информация по комментариям в разработке