श्रीहरिशरणाष्टकम् | श्रीहरि की स्तुति: विनय स्तोत्र का दिव्य पाठ |

Описание к видео श्रीहरिशरणाष्टकम् | श्रीहरि की स्तुति: विनय स्तोत्र का दिव्य पाठ |

1. "विनय स्तोत्र: आत्मसमर्पण का दिव्य स्तवन"


2. "दीनबंधु की शरण: विनय स्तोत्र का भक्तिपूर्ण पाठ"


3. "विनय स्तुति: हृदय से प्रभु की स्तुति का भावपूर्ण गान"


4. "विनय स्तोत्र: कष्टों से मुक्ति का मार्ग"


5. "श्रीहरि की स्तुति: विनय स्तोत्र का दिव्य पाठ"
Title:
"विनय स्तोत्र: आत्मसमर्पण और श्रद्धा का दिव्य पाठ"

Description:
🌿 "हे दीनबंधु! आप ही मेरी एकमात्र शरण हैं।" 🌿

इस वीडियो में आपके सामने प्रस्तुत है विनय स्तोत्र, जो भक्त के भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रार्थना का प्रतीक है। यह स्तोत्र हमें दिखाता है कि जब जीवन में कोई सहारा नहीं होता—ना माता, ना पिता, ना कुल, ना बल—तब ईश्वर ही हमारी अंतिम और सच्ची शरण बनते हैं।

🕉️ भावार्थ:
विनय स्तोत्र में व्यक्ति अपने समस्त अहंकार को त्यागकर प्रभु के चरणों में निवेदन करता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों, कष्टों और रोगों में प्रभु के स्मरण और उनके प्रति समर्पण से ही मुक्ति संभव है।

📖 इस स्तोत्र की विशेषताएँ:
1️⃣ सरल शब्दों में हृदय से प्रभु की प्रार्थना।
2️⃣ मानसिक शांति और आत्मिक बल प्रदान करने वाला पाठ।
3️⃣ ईश्वर के प्रति अभेद्य विश्वास और श्रद्धा का भाव जागृत करता है।

🎶 इस गान के माध्यम से:
👉 अपने जीवन के हर संकट में ईश्वर की शरण लें।
👉 श्रद्धा और भक्ति की शक्ति को महसूस करें।
👉 प्रभु की कृपा से आत्मिक शांति का अनुभव करें।

🙏 "जब हर दरवाज़ा बंद हो जाए, तब प्रभु की शरण सबसे बड़ा सहारा बनती है।" 🙏

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✨ जय श्रीहरि! ✨
🕉️🙏

Title:
"विनय स्तोत्र: आत्मसमर्पण और श्रद्धा का दिव्य पाठ"

Description:
🌿 "हे दीनबंधु! आप ही मेरी एकमात्र शरण हैं।" 🌿

इस वीडियो में आपके सामने प्रस्तुत है विनय स्तोत्र, जो भक्त के भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रार्थना का प्रतीक है। यह स्तोत्र हमें दिखाता है कि जब जीवन में कोई सहारा नहीं होता—ना माता, ना पिता, ना कुल, ना बल—तब ईश्वर ही हमारी अंतिम और सच्ची शरण बनते हैं।

🕉️ भावार्थ:
विनय स्तोत्र में व्यक्ति अपने समस्त अहंकार को त्यागकर प्रभु के चरणों में निवेदन करता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों, कष्टों और रोगों में प्रभु के स्मरण और उनके प्रति समर्पण से ही मुक्ति संभव है।

🎶 विनय स्तोत्र का पाठ:
नो सोदरो न जनको जननी न जाया।
नैवात्मजो न च कुलं विपुलं बलं वा।
संदृश्यते न किल कोऽपि सहायको मे।
तस्माद्हमेकमरणं मधुपाय महामन्।। 1।।

नोपासिता मदमपाय मया महान्।
स्त्रीधीनि चारितकथीय न हि सेवनानि।
देवांशन च विधिन व्रतं कदापि।
तस्मादहमेकमरणं मधुपाय महामन्।। 2।।

दुर्वासना मम सदा परिकर्षयन्ति।
चिन्तां शरीरमपि रोगगणाः दहन्ति।
सञ्जीवनं च परहस्तगतं सदा मे।
तस्मादहमेकमरणं मधुपाय महामन्।। 3।।

पूर्वकृतानि दुरितानि मया तु यानि।
स्मृत्वाखिलानि हृदयं परिकम्पते मे।
ख्याताश्च ते पतितपावनता तु यस्मात्।
तस्मादहमेकमरणं मधुपाय महामन्।। 4।।

दुःखं जराजननं विविधाश्च रोगाः।
काकस्यसूकरजनिर्निय च पात।
ते विस्मृतः फलमिदं विततं हि लोके।
तस्मादहमेकमरणं मधुपाय महामन्।। 5।।

🌟 इस स्तोत्र की विशेषताएँ:
1️⃣ सरल शब्दों में हृदय से प्रभु की प्रार्थना।
2️⃣ मानसिक शांति और आत्मिक बल प्रदान करने वाला पाठ।
3️⃣ ईश्वर के प्रति अभेद्य विश्वास और श्रद्धा का भाव जागृत करता है।

🙏 "जब हर दरवाज़ा बंद हो जाए, तब प्रभु की शरण सबसे बड़ा सहारा बनती है।" 🙏

📌 इस वीडियो को देखिए, सुनिए और भक्ति भाव से इसका पाठ कीजिए।

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✨ जय श्रीहरि! ✨
🕉️🙏

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