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Скачать или смотреть एक माँ की बेबसी | Ek Maa Ki Bebasi| CBSE Class 5th Hindi

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  • 2020-05-13
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एक माँ की बेबसी | Ek Maa Ki Bebasi| CBSE Class 5th Hindi
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Описание к видео एक माँ की बेबसी | Ek Maa Ki Bebasi| CBSE Class 5th Hindi

#एक_माँ_की_बेबसी कविता का सारांश

राजेश जोशी द्वारा रचित इस कविता में रतन नाम के एक अपंग बच्चे की दशा और उसकी माँ की बेबसी का वर्णन किया गया है। रतन देखने में अन्य बच्चों की तरह ही था परन्तु बोल नहीं सकता था। वह रोज बच्चों के साथ खेलने आया करता था। बच्चों के लिए वह अजूबा था क्योंकि वे उसे अपनों से अलग पाते थे। वे उससे घबराते भी थे क्योंकि न तो वे उसके इशारों को समझ पाते थे न ही उसकी घबराहट को। उसकी आँखों में हमेशा भय समाया रहता था। जब तक वह खेलता उसकी माँ उसके आस-पास बैठी रहती। उसकी नजर हमेशा रतन पर होती। शायद वह उसकी सुरक्षा को लेकर परेशान रहती थी। कवि उन दिनों बच्चा था। अतः रतन की माँ की बेबसी को समझ पाने में बिल्कुल असमर्थ था। परन्तु अब वह बड़ा हो गया है और बचपन की बातें उसे अच्छी तरह याद आ रही हैं। उसे रतन की माँ का वह बेबस चेहरा भी याद आ रहा है।
कवि कहता है कि रतन से भी ज्यादा परेशान और चिंतित उसकी माँ रहती थी।

काव्यांशों की व्याख्या
1. न जाने किस अदृश्य पड़ोस से
निकल कर आता था वह
खेलने हमारे साथ-
रतन, जो बोल नहीं सकता था
खेलता था हमारे साथ
एक टूटे खिलौने की तरह
देखने में हम बच्चों की ही तरह
था वह भी एक बच्चा।
लेकिन हम बच्चों के लिए अजूबा था
क्योंकि हमसे भिन्न था।
शब्दार्थ : अदृश्य-जो दिखाई न दे। अजूबा-विचित्र। भिन्न-अलग।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम भाग-5′ में संकलित कविता ‘एक माँ की बेबसी’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों के रचयिता हैं-राजेश जोशी।।
अर्थ-रतन नाम का एक बच्चा है जो बोल नहीं पाता है। वह रोज हम बच्चों के साथ खेलने आता है। वह हमारे साथ खेलते समय एक टूटे खिलौने की तरह लगता है। देखने में रतन बिल्कुल हमारे जैसा एक बच्चा है लेकिन हमसे अलग है। क्योंकि वह बोलने में असमर्थ है। शायद इसीलिए हमारे लिए वह अजूबा है।।

2. थोड़ा घबराते भी थे हम उससे
क्योंकि समझ नहीं पाते थे।
उसकी घबराहटों को,
न इशारों में कही उसकी बातों को,
न उसकी भयभीत आँखों में
हर समय दिखती
उसके अंदर की छटपटाहटों को।
अर्थ-रतन नाम का एक बच्चा है जो बोलने में असमर्थ है। वह हम बच्चों के साथ रोज खेलने आया करता है। हम उससे थोड़ा घबराते थे, क्योंकि न तो हम उसकी घबराहटों को समझ पाते थे न ही उसके इशारों को। वह इशारों में बहुत-सारी बातें कह जाता लेकिन हम उन्हें बिल्कुल नहीं समझ पाते। उसकी आँखों में हमेशा एक भय समाया रहता था। हम उसे भी नहीं समझ पाते थे।

3. जितनी देर वह रहता
पास बैठी उसकी माँ
निहारती रहती उसका खेलना।
अब जैसे-जैसे
कुछ बेहतर समझने लगा हूँ
उनकी भाषा जो बोल नहीं पाते हैं।
याद आती
रतन से अधिक
उसकी माँ की आँखों में
झलकती उसकी बेबसी।

अर्थ-रतन नाम का एक बच्चा है जो बोलने में असमर्थ है। वह रोज़ाना हम बच्चों के साथ खेलने आया करता है। वह जब तक हमारे साथ खेलता है, उसकी माँ उसके पास बैठी रहती है। उसकी नज़र हमेशा खेलते हुए रतन पर होती थी। कवि कहता है कि तब वह छोटा बच्चा था और बहुत कुछ समझ नहीं पाता था। अब बड़ा हो गया है और समझदार भी। अब उसे रतन की भाषा समझ में आने लगी है। यह भी याद आने लगा है कि कैसे उसकी माँ बेबस आँखों से अपने गुंगे बच्चे को निहारती थी। कवि कहता है कि रतन से भी ज्यादा बेबस तो उसकी माँ थी। बड़ा होकर कवि एक गूंगे बच्चे की माँ की पीड़ा को महसूस करने लगा है।

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