छत्तीसगढ़ी बिहाव 💐 मड़वा नाचा 💐 मड़वा के मजा । कोठरी परिवार |

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हिंदू धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक संस्कार माना गया है। पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से हिंदू विवाह के नाम से जाना जाता है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है जिसे कि विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है

परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी क बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है जिसे कि किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता। अग्नि के सात फेरे ले कर और ध्रुव तारा को साक्षी मान कर दो तन, मन तथा आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं।

हिंदू विवाह में पति और पत्नी के बीच शारीरिक संम्बंध से अधिक आत्मिक संम्बंध होता है और इस संम्बंध को अत्यंत पवित्र माना गया है।

हिंदू विवाह में शारीरिक संम्बंध केवल वंश वृद्धि के उद्देश्य से ही होता है।
"जब दो आत्माएं मिलकर एक हो जाएं और प्रेम के अटूट पवित्र बंधन में उस अटूट पवित्र बंधन का नाम विवाह होता है"दुल्हन को उसके पिता के घर से अपने घर ले जाना विवाह या उद्वाह कहलाता है।


विवाह का अर्थ है पाणिग्रहन, जिसका अर्थ है दूल्हा अपनी पत्नी बनाने के लिए दुल्हन का हाथ थामे हुए। चूँकि पुरुष स्त्री का हाथ थामे रहता है, इसलिए विवाह के बाद स्त्री को जाकर पुरुष के साथ रहना चाहिए।पुरुष का स्त्री के साथ जाना और रहना अनुचित है


" धन्यवाद "

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