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Скачать или смотреть पितामह भीष्म ने बताया संभोग के समय कौन ज्यादा आनंद महसूस करता है स्त्री या पुरुष! hindi story

  • UNIVERSAL TRUTH YOU CAN'T DENY
  • 2017-10-21
  • 9154
पितामह भीष्म ने बताया संभोग के समय कौन ज्यादा आनंद महसूस करता है स्त्री या पुरुष! hindi story
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Описание к видео पितामह भीष्म ने बताया संभोग के समय कौन ज्यादा आनंद महसूस करता है स्त्री या पुरुष! hindi story

संभोग के समय कौन ज्यादा आनंद महसूस करता है महिला या फिर पुरुष इसके लिए कुछ पौराणिक कथाएं हैं उनमें से एक कथा के बारे में मैं आपको बताने जा रहा हूं. यह एक बहुत पुरानी बहस है कि संभोग के समय आखिर कौन ज्यादा आनंदित होता है महिला या फिर पुरुष हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका बहुत अच्छा उदहारण दिया है .
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार एक बार युधिष्ठिर तीरों की सय्या पर लेटे अपने पितामह भीष्म के पास गए और भीष्म से पूछा कि पितामह क्या आप मुझे एक दुविधा से निकालेंगे क्या आप मुझे बताएंगे कि संभोग के समय कौन ज्यादा आनंद महसूस करता है स्त्री या फिर पुरुष इस पर पितामाह ने युधिष्ठिर को एक कथा सुनाई वह कथा इस प्रकार थी.
इस संबंध में पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा कि मैं तुम्हें राजा भंग स्वाना और शकरा की कहानी सुनाता हूं बहुत समय पहले की बात है एक राजा भंग स्वाना हुआ करता था वह बहुत ही न्याय प्रिय और साफ दिल का था. लेकिन उसके घर कोई बालक नहीं था तो एक बालक की इच्छा में उसने एक अग्नि अनुष्ठान किया.सिर्फ अग्नि की स्तुति करने के कारण देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और राजा को किसी न किसी तरह से बर्बाद करने की सोचने लगे और इसके लिए मौके ढूंढने लगे पर राजा इतना अच्छा था कि वह कोई गलती नहीं करता था.जिससे इंद्र का क्रोध और बढ़ते जा रहा था लेकिन उसे 1 दिन ऐसा मौका मिल ही गया और राजा जंगल में शिकार करने के लिए गए तभी इंद्र ने सोचा यह मौका सबसे अच्छा, जब राजा जंगल में शिकार के लिए पहुंचे तो इंद्र ने उन्हें अपनी शक्ति से सम्मोहित कर दिया जिस कारण राजा को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था ना ही उन्हें कुछ याद था ना ही उन्हें अपनी सेना दिखाई दे रही थी भूख-प्यास से व्याकुल राजा एक दिशा में चले जा रहे थे तभी उन्हें एक नदी दिखाई दी तब राजा ने उस नदी में पहले अपने घोड़े को पानी पिलाया और फिर खुद उस नदी का पानी पिया.जैसे ही राजा ने उस नदी का पानी पिया राजा बदलने लगा और वह स्त्री रूप में आ गया राजा स्त्री रूप में आने के बाद विलाप करने लगा और शर्मसार हो गया उसने सोचा कि अब मैं अपने राज्य में कैसे जाऊंगा कैसे अपने 100 पुत्रों को और अपनी पत्नियों को मुंह दिखाऊंगा. तब राजा विलाप करते हुए अपने राज्य पहुंचा उसने अपनी सभी पत्नियों को अपने पुत्रों को और अपने मंत्रियों को बुलाकर यह कहा कि अब मैं इस राज्य का राज्य करने लायक नहीं हूं, इसलिए आप इस राज्य को संभालो और राज्य कीजिए. और राजा वहां से जंगल की ओर चल दिया जब राजा स्त्री रूप में जंगल पहुंचा तो उसने एक ऋषि के साथ अपना घर बसा लिया और उस ऋषि और स्त्री रुपी राजा से कई पुत्र उत्पन्न हुए. तब राजा ने उन पुत्रों को लेकर अपने राज्य पहुंचा और कहा कि यह मेरे वह पुत्र है जो मुझे स्त्री रूप में प्राप्त हुये है और तुम मेरे वह पुत्र हो जो मुझे पुरुष रूप में प्राप्त हुए हो .प सभी मिलकर इस राज्य को अच्छे से संभालना इस बात को देखकर राजा इंद्र का क्रोध और बढ़ गया क्योंकि उसने सोचा कि राजा पर मेरे श्राप का कोई असर नहीं हुआ वह तो इस्त्री रूप में और ज्यादा खुश लग रहा है तब इंद्रा ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और उसके राज्य में आ गया और सभी भाइयों को भड़का कर एक दूसरे के खिलाफ करवा दिया तब सभी भाइयों ने एक दूसरे की हत्या कर दी |जब स्त्री रुपी भंग स्वाना को यह पता चला कि उसके सारे पुत्र
मृत्यु की भेंट चढ़ गए हैं तब वह रो- रो कर विलाप करने लगी तब देवराज इंद्र ब्राह्मण के रूप में स्त्री रुपी राजा के सामने प्रकट हुए और पूछा कि तुम क्यों रो रही हो तब उसने बताया कि मेरे सारे पुत्रों का नाश हो गया है तब इंद्र ने अपना असली रूप स्त्री रुपी राजा के सामने दिख आया और उसने कहा कि तुमने सिर्फ अग्नि का अनुष्ठान किया और मेरा अनादर किया इसलिए तुम्हें यह कष्ट भोगने पढ़ रहे हैं. तब भंग स्वाना इंद्रा के चरणों में गिर गई और उनसे अपनी अनजाने में की गई भूल की क्षमा मांगने लगी. तब इंद्र को भंग स्वाना पर दया आई और उसने उसके पुत्रों को जीवित होने का वरदान दे दिया लेकिन इंद्र ने इसके लिए एक शर्त रखी कि मैं तुम्हारे किसी रूप वाले पुत्रो को जीवित कर सकता हूं अब तुम बताओ तुम किस को जीवित करना चाहती हो. तब भंग स्वाना ने कहा कि मैं उन पुत्रों को जीवित करना चाहती हूं जो मुझे स्त्री रूप में प्राप्त हुए हैं तो इस तरह के अचरज भरे जवाब के लिए इंद्र ने उससे पूछा कि तुम ऐसा क्यों करना चाहती हो इसका कारण बताओ. तब स्त्री रुपी भंग स्वाना ने बताया कि’ है इंद्र’ एक स्त्री का प्रेम पुरुष के प्रेम से कई गुना अधिक होता है इसलिए मैं अपने उन बच्चों को जीवित करना चाहती हूं जो मैंने स्त्री रुप में प्राप्त किए हैं.

आप कृपया करके उन बच्चों को जीवित कर दे तब इंद्र को दया आई और उसने उसके सभी बच्चों को जीवन दान दे दिया जो उसने स्त्री रूप में प्राप्त किये थे वह भी और जो उसने पुरुष रुप में प्राप्त करे थे वह भी. तब इंद्र ने आगे भंग स्वाना से पूछते हुए कहा कि मैं तुम्हारे ऊपर जो श्राप दिया है उसको वापस लेना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि तुम्हें तुम्हारा पुरुषत्व दे दिया जाए. तब भंग स्वाना ने कहा कि मैं स्त्री ही रहना चाहता हूं यह सुनकर इंद्र की उत्सुकता और बढ़ गई और वह जानने लगे कि आखिर तुम स्त्री क्यों रहना चाहती हो तुम वापस पुरुष बन कर अपने राज्य में नहीं जाना चाहते हो तुम अपने राज्य को नहीं संभाल ना चाहते हो.

तब स्त्री रुपी भंग स्वाना ने कहा की हे इंद्र मैंने स्त्री रूप में यह जाना कि संभोग के समय स्त्री को पुरुष से कई गुना ज्यादा आनंद, तृप्ति और सुख की प्राप्ति होती है इसलिए मैं इस रूप में ही रहना चाहती हूं. तब इंद्र ने उसको वरदान दिया कि तुम स्त्री रुप में ही रहोगे. इसके बाद पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा कि युधिष्ठिर इससे यह पता चलता है कि संभोग के समय स्त्री को पुरुष से कई गुना आनंद ,सुख और संतुष्टि की प्राप्ति होती है.

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