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Скачать или смотреть निर्वाण या ब्रह्मज्ञान? कौन सा है परम शिखर?

  • Understanding Buddha's Teachings
  • 2025-08-28
  • 217
निर्वाण या ब्रह्मज्ञान? कौन सा है परम शिखर?
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Описание к видео निर्वाण या ब्रह्मज्ञान? कौन सा है परम शिखर?

हम अपनी चर्चा को इस बिंदु पर समापन कर सकते हैं कि वेदान्त और बुद्ध-धम्म दोनों ही सर्वोच्च शिखर तक पहुँचने के उपाय बताते हैं, लेकिन उनके कदमों (steps) और दृष्टिकोण में अंतर है।

वेदान्त का मार्ग

वेदान्त ब्रह्म को ही परम सत्य मानता है और आत्मा (आत्मन्) को ब्रह्म के साथ अभिन्न घोषित करता है।

उसकी साधना मुख्य रूप से श्रवण, मनन और निदिध्यासन (सुनना, चिंतन करना, और गहन ध्यान करना) के माध्यम से होती है।

लक्ष्य है — अहं ब्रह्मास्मि की अनुभूति, अर्थात् आत्मा और ब्रह्म में कोई भेद नहीं।

यहाँ मोक्ष का अर्थ है अविद्या (अज्ञान) का नाश और ब्रह्म में अद्वैत रूप से लीन होना।

बुद्ध-धम्म का मार्ग

बुद्ध-धम्म आत्मा या किसी शाश्वत सत्ता को नहीं मानता।

उसका आधार है चार आर्यसत्य और आष्टाङ्गिक मार्ग।

साधक क्रमशः सोतापन्न, सकदागामी, अनागामी और अरहन्त के चरणों से आगे बढ़ता है।

लक्ष्य है — आसवक्षय, अर्थात् सभी अशुद्ध प्रवृत्तियों का नाश और निर्वाण की प्राप्ति।

यहाँ मोक्ष का अर्थ है दुःख का निरोध और पुनर्जन्म का अंत।

मूल अंतर

वेदान्त में सर्वोच्च बोध है — आत्मा ही ब्रह्म है।

बुद्ध-धम्म में सर्वोच्च बोध है — सभी धम्म अनिच्च, दुक्ख, अनत्ता हैं।

वेदान्त आत्मा को शाश्वत मानकर ब्रह्म से ऐक्य करता है।

बुद्ध-धम्म आत्मा को अस्वीकार कर निर्वाण को शून्यता/निरोध के रूप में देखता है।

👉 इस प्रकार दोनों ही मार्ग अपने-अपने साधकों को उच्चतम शिखर तक पहुँचाते हैं, परन्तु एक मार्ग अद्वैत में विलय की ओर ले जाता है, जबकि दूसरा मार्ग अनात्म और निर्वाण की ओर।

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