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shorts पंचायतीराज व्यवस्था। #gk #gs #polity #upsc #viral #famousshorts BY VIKAS SIR
Panchayat। अनुच्छेद संग्रह
Polity
भारत में पंचायत एक महत्त्वपूर्ण संस्था है जो ज़मीनी स्तर पर स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाती है।

भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित इस विकेन्द्रीकृत प्रणाली का उद्देश्य, निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में नागरिकों को शामिल करके लोकतांत्रिक सिद्धांतों, सामाजिक न्याय एवं समान विकास को बढ़ावा देना है।
संस्कृत में "पंचायती राज" शब्द का शाब्दिक अर्थ "ग्राम परिषद का शासन" है, इसकी जड़ें पारंपरिक ग्राम प्रशासन प्रणाली में निहित हैं।
भारत में पंचायतों की विकास यात्रा:
बलवंत राय मेहता समिति (1957):
पंचायती राज व्यवस्था की सिफारिश सबसे पहले वर्ष 1957 में बलवंत राय मेहता समिति ने की थी।
इसमें ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के रूप में पंचायती राज संस्थानों की त्रिस्तरीय प्रणाली पर बल दिया था।
अशोक मेहता समिति (1977):
मध्यस्थ स्तर को समाप्त करते हुए इसमें पंचायती राज की दो-स्तरीय प्रणाली की सिफारिश की गई थी।
इसमें स्थानीय स्वशासन को मज़बूत करने के क्रम में शक्तियों एवं कार्यों के विकेंद्रीकरण पर बल दिया गया था।
संवैधानिक संशोधन:
73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
इसके द्वारा गाँव, मध्यवर्ती (ब्लॉक) और ज़िला स्तरों पर पंचायती राज की त्रिस्तरीय प्रणाली को स्थापित किया गया।
73वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थानों में अनुसूचित जाति (SCs), अनुसूचित जनजाति (STs) और महिलाओं के लिये आरक्षण प्रदान किया गया था।
इसके द्वारा नियमित निर्वाचन हेतु राज्य चुनाव आयोगों का गठन किया गया था।
इसने पंचायतों और नगर पालिकाओं को शक्तियों तथा ज़िम्मेदारियों का हस्तांतरण किया।
पंचायतों के संबंध में भारत के संविधान, 1950 के प्रमुख प्रावधान:
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत:
अनुच्छेद 40: इसमें कहा गया है कि राज्य, ग्राम पंचायतों को गठित करने के लिये कदम उठाएगा और उन्हें ऐसी शक्तियाँ एवं अधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्थानीय स्वशासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिये आवश्यक हों।
भाग IX - पंचायतें:
अनुच्छेद 243: परिभाषाएँ: यह अनुच्छेद ज़िला, ग्राम सभा, मध्यवर्ती स्तर, पंचायत, पंचायत क्षेत्र, जनसंख्या एवं गाँव को परिभाषित करता है।
अनुच्छेद 243A: ग्राम सभा
इसमें कहा गया है कि ग्राम सभा ऐसी शक्तियों का प्रयोग कर सकती है तथा ग्राम स्तर पर ऐसे कार्य कर सकती है जो राज्य का विधानमंडल, विधि द्वारा प्रदान करे।
अनुच्छेद 243B – 243 O: पंचायत
ये अनुच्छेद ग्राम, मध्यवर्ती और ज़िला स्तर पर पंचायतों के गठन व संरचना का प्रावधान करते हैं।
इनमें पंचायतों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिये सीटों के आरक्षण संबंधी प्रावधान हैं। ये अनुच्छेद पंचायतों की शक्तियों, अधिकार और ज़िम्मेदारियों का भी विवरण प्रदान करते हैं।
By VIKAS SIR 🙇

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