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#जानिए पुष्य नक्षत्र के जातक के व्यक्तित्व, कार्य क्षेत्र एवं महत्व
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🔱⚜️🪔🙏 पुष्य नक्षत्र माताओ को समर्पित जो निस्वार्थ भाव से अपने संतान का पोषण करती हैl तभी तो देवता भी तरसते हैं मां की आंचल की छांव को पाने के लिएl⚜️🪔🙏🔱
नमस्कार मित्रों ! नक्षत्र के सीरीज के अंतर्गत आज हम पुष्य नक्षत्र के बारे में आपको विश्लेषण करने जा रहे हैं l मित्रों हमारे आसपास के परिवेश में चाहे घर हो परिवार हो समाज हो दफ्तर हो गांव हो शहर हो मित्र मंडली हो कभी ना कभी कहीं ना कहीं पुष्य नक्षत्र के जातकों से हमारा सामना या मुलाकात होते होंगे l मित्रों ऐसे जातकों के प्रकृति स्वभाव व्यक्तित्व कार्य क्षेत्र के बारे में हमारे विद्वान ज्योतिषियों तथा ऋषि मुनियों द्वारा पूर्व ही भविष्यवाणी कर दिए थेl हमारा प्रयास उक्त नक्षत्र में उत्पन्न जातकों के स्वभाव व्यक्तित्व और कार्यक्षेत्र के बारे में मूलभूत जानकारी प्राप्त कर सके ताकि ऐसे जातकों को समझने में सरल एवं सहज हो सकेl मित्रों यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आता है तो हमारे चैनल को लाइक करिए शेयर करिए कमेंट करिए एवं सब्सक्राइब जरूर करिए मित्रों प्रणाम! नमस्कार!
ASTRO DIVINE LIGHT
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नक्षत्र मास के नाम:-
1.आश्विन, 2.भरणी, 3.कृतिका, 4.रोहिणी, 5.मृगशिरा, 6.आर्द्रा 7.पुनर्वसु, 8.पुष्य, 9.आश्लेषा, 10.मघा, 11.पूर्वा फाल्गुनी, 12.उत्तरा फाल्गुनी, 13.हस्त, 14.चित्रा, 15.स्वाति, 16.विशाखा, 17.अनुराधा, 18.ज्येष्ठा, 19.मूल, 20.पूर्वाषाढ़ा, 21.उत्तराषाढ़ा, 22.श्रवण, 23.धनिष्ठा, 24.शतभिषा, 25.पूर्वा भाद्रपद, 26.उत्तरा भाद्रपद और 27.रेवती।
नक्षत्रों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ये चार श्रेणियां हैं- 1. अन्ध नक्षत्र 2. मन्दलोचन नक्षत्र 3. मध्यलोचन नक्षत्र और 4. सुलोचन नक्षत्र।
1. अन्ध नक्षत्र:- पुष्य, उत्तराफ़ाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा, रेवती और रोहिणी।
2. मन्दलोचन नक्षत्र:- आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा, अश्विनी और मृगशिरा।
3. मध्यलोचन नक्षत्र:- मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, भरणी और आर्द्रा।
4. सुलोचन नक्षत्र:- पूर्वा फाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, कृत्तिका और पुनर्वसु।
नक्षत्रों के गृह स्वामी :
केतु:- आश्विन, मघा, मूल।
शुक्र:- भरणी, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा।
रवि:- कार्तिक, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा।
चन्द्र:- रोहिणी, हस्त, श्रवण।
मंगल:- मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा।
राहु:- आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा।
बृहस्पति:- पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद।
शनि:- पुष्य, अनुराधा, उत्तरा भाद्रपद।
बुध:- आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती।
1. शुभ फलदायी:1, 4, 8, 12, 13, 14, 17, 21, 22, 23, 24, 26 और 27 ये 13 नक्षत्र शुभ फलदायी है। इसमें किसी भी प्रकार का कार्य किया जा सकता है।
2. मध्यम फलदायी: 5, 7, 10 और 16 यह 4 नक्षत्र मध्यम फल देने वाले कहे गए हैं। कोई खास मजबूरी हो कि यह कार्य तो इस दिन करना ही होगा और इसे टाल नहीं सकते हैं तो इन नक्षत्रों में चौघड़िया देखकर कार्य किया जा सकता है।
3. अशुभ फलदायी: 2, 3, 6, 9, 11, 15, 18, 19, 20 और 25 ये 10 नक्षत्र अशुभ फल देने वाले माने गए हैं। अत: इन नक्षत्रों में शुभ कार्यो को करने से बचना चाहिए।
नक्षत्रों के उपाय::-
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हर नक्षत्र का एक वृक्ष होता है,कोई भी व्यक्ति अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार उस वृक्ष की पूजा करके अपनें नक्षत्र को ठीक कर सकता है,यदि जन्म नक्षत्र अथवा गोचर के समय कोई नक्षत्र पीड़ित चल रहा हो तब उस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष की पूजा करने से पीड़ा से राहत मिलती है ए अवश्य करे,
:नक्षत्रों से संबंधित वृक्ष:
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1,अश्विनी नक्षत्र का वृक्ष :केला,आक, धतूरा,
2– भरणी नक्षत्र का वृक्ष :केला,आंवला है
3– कृत्तिका नक्षत्र का वृक्ष :– गूलर है ।
4– रोहिणी नक्षत्र का वृक्ष :– जामुन है
5– मृगशिरा नक्षत्र का वृक्ष :– खैर है ।
6– आर्द्रा नक्षत्र का वृक्ष :– आम, बेल है ।
7– पुनर्वसु नक्षत्र का वृक्ष:– बांस है ।
8– पुष्य नक्षत्र का वृक्ष :– पीपल है ।
9,आश्लेषा नक्षत्र का वृक्ष :नाग केसर और चंदन है
10- मघा नक्षत्र का वृक्ष :– बड़ है ।
11- पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष :- ढाक है
12-उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष :बड़ और पाकड़ है
13- हस्त नक्षत्र का वृक्ष :– रीठा है ।
14- चित्रा नक्षत्र का वृक्ष :– बेल है ।
15- स्वाति नक्षत्र का वृक्ष :– अर्जुन है ।
16- विशाखा नक्षत्र का वृक्ष :– नीम है ।
17- अनुराधा नक्षत्र का वृक्ष :–मौलसिरी है
18- ज्येष्ठा नक्षत्र का वृक्ष :– रीठा है ।
19- मूल नक्षत्र का वृक्ष :– राल का पेड़ है।
20- मपूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का वृक्ष : मौलसिरी/जामुन,
21- उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का वृक्ष :– कटहल है,
22- श्रवण नक्षत्र का वृक्ष :– आक है ।
23- धनिष्ठा नक्षत्र का वृक्ष :– शमी और सेमर है,
24- शतभिषा नक्षत्र का वृक्ष :– कदम्ब है ।
25- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का वृक्ष :–आम है
26-उत्तराभाद्रपद का वृक्ष:पीपल व सोनपाठा
27- रेवती नक्षत्र का वृक्ष :–महुआ है,
इनकी पूजा करने से नक्षत्रों का दोष दूर होता है प्रतिदिन इन पेडो़ के दर्शन मात्र से नक्षत्र का दोष दूर हो जाता है।
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