कमलेन्दुमती शाह | Kamlendumati Shah | विरासत EPS09

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20 मार्च 1963 में टिहरी के आसमान पर दो हेलीकॉप्टर मंडरा रहे थे और नीचे हजारों की संख्या में जनता सिर ऊपर कर उन्हें बड़े आश्चर्य के साथ देख रही थी. कुछ ही पलों बाद धूल उड़ाते हुए वो दोनों हेलीकॉप्टर एक के बाद एक प्रताप इंटर कॉलेज के मैदान में उतरे. उस दोपहर टिहरी की जनता ने अपनी जिंदगी में दो चीजें पहली बार देखी. एक हेलीकॉप्टर और दूसरा भारत का राष्ट्रपति. भारत के राष्ट्रपति को जो महिला रिसीव करने आई थी वो उस वक्त देश की संसद में सबसे मजबूत नेता के रूप में नाम दर्ज करा चुकी थी. एक ऐसी नेता जिसके अतीत में राज महलों के ऊंची दीवारों के भीतर की गुमनाम जिंदगी थी तो भविष्य में वो देश की बड़ी शख्सियत के रूप विख्यात होने वाली थी. ऐसी नेता, जिसे अभी-अभी रजवाड़ों की गुलामी से निकली जनता ने तमाम गिले-शिकवे भुला कर जब संसद में भेजा तो इंग्लैंड के अखबारों में भी सुर्ख़ियाँ बनी. और जब ये भद्र महिला संसद में पहुंची तो दो ऐसे कानूनों को पास कराया, जिनकी जरूरत आने वाले दशकों में भारतीय महिलाओं और अनाथ बच्चों को सशक्त बनाने में पड़ने वाली थी. दरबार के परदे से भारत की संसद तक का सफर तय करने वाली ये महिला थी, टिहरी राजघराने की महारानी कमलेंदुमती शाह जिन्हें इतिहास ने राजमाता के नाम से याद रखा. विरासत के इस Episode में आज विस्तार से जानिए कहानी रानी कमलेन्दुमती शाह Kamlendumati shah की.

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