ओलंपिक पदक जितने वाली पहली भारतीय महिला | जानिये साक्षी मलिक के खेल सफ़र को| olympic

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ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान, पोडियम से आंदोलन तक ऐसा रहा साक्षी का सफर
बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ ही पहलवानों ने इस साल दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था। अब उनके ही करीबी अध्यक्ष बने तो साक्षी ने कुश्ती से अलग होने का फैसला कर लिया।

भारत की दिग्गज पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया। साक्षी ने भारतीय कुश्ती संघ के चुनावों के नतीजों के आने के बाद यह फैसला लिया।

पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को जीत हासिल हुई। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ ही पहलवानों ने इस साल दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था। अब उनके ही करीबी अध्यक्ष
बने तो साक्षी ने कुश्ती से अलग होने का फैसला कर लिया।

साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान हैं। उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया था। हालांकि, भारत के लिए किसी भी खेल में ओलंपिक पदक जीतने वाली खिलाड़ी
कर्णम मल्लेश्वरी थीं। उन्होंने साल 2000 में भारोत्तोलन के 69 किग्रा भारवर्ग में कांस्य पदक जीता था।

नमस्कार दोस्तों आपका सुआगत है हमारे यूट्यूब चेंनल गेम विमिंग मंत्र मै जिसमे हम बताते गेम से जुड़े विशेष मुद्दों को और गेम जितने केअनेक मंत्रों को | तो आज हम अपनी इस वीडियो में बात करने वाले है भारत की ओलंपिक
पदक जितने वाली पहली महिला साक्षी मालिक के बारे में और उनके खेल के साहस से जुडी खबरों में की जिनसे अभी तक आपसभी अनजान होंगे लेकिन दोस्तों वीडियो शुरूकरने से पहले अगर आपने हमारे यूट्यूब चेंनल गेम विनिंग
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फ्रेंड्स इसी के साथ जानते हे भारतीय ओलंपिक पदक जितने वाली साक्षी मलिक से जुड़े प्रेंदादायेद खबरों के बारे में
तो फ्रेंड्स,

साक्षी के नाम राष्ट्रमंडल खेलों में भी तीन पदक हैं। उन्होंने 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक हासिल किया था। उसके बाद गोल्ड कोस्ट 2018 में कांस्य जीता। 2022 में उन्होंने अपने पदक का रंग एक बार फिर बदला और
बर्मिंघम में स्वर्ण जीता।

कुश्ती में प्रभावशाली करियर बनाने वाली साक्षी मलिक का जन्म हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में तीन सितंबर 1992 को हुआ था। उनके दादा सुबीर मलिक पहलवान थे, जिनसे प्रेरित होकर साक्षी ने बचपन से ही
कुश्ती में करियर बनाने की ठान ली।

महज 12 साल की उम्र में साक्षी ने ईश्वर दहिया से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। अपने पांच से प्रशिक्षण अवधि में ही साल 2009 में साक्षी एशियाई जूनियर विश्व चैंपियनशिप में शामिल हुईं और फ्रीस्टाइल में 59 किलो भार वर्ग में
रजत पदक हासिल किया। अगले साल 2010 में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक, 2013 के कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों और ओलंपिक में देश का नाम रोशन किया।

साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट जैसी दिग्गज पहलवानों ने इस साल 18 जनवरी को भारतीय कुश्ती संघ के तात्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे दिया। 21 जनवरी को सरकार के आश्वासनों के
बाद यह समाप्त हुआ। पहलवानों ने 28 अप्रैल को फिर से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे दिया। इसके बाद पहलवानों ने मौसम की मार झेली, पुलिस के साथ झड़प हुई। पहलवानों के खिलाफ एफआईआर भी हुई, लेकिन विरोध
प्रदर्शन जारी रहा। हालांकि, पहलवानों और गृहमंत्री अमित शाह के बीच मुलाकात के बाद कहानी बदल गई और पहलवान काम पर लौट गए।

पहलवानों को जल्द ही कुश्ती संघ में चुनाव कराने का आश्वासन मिला था। इसके लिए समिति भी बनाई गई थी। अब चुनाव हो गए हैं। संजय सिंह अध्यक्ष बन चुके हैं। उनके जीतते ही साक्षी ने संन्यास का एलान कर दिया। वह दिल्ली
में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रो रही थीं।


बीते सालों में भारतीय पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया है। ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि आने वाला समय भारतीय खेल जगत के लिए बेहद शानदार होगा। जब भी भारतीय पहलवानों की बात चलती है,
तो हमारे मन में साक्षी मलिक का नाम जरूर आता है। साक्षी के भारत के लिए कुश्ती के क्षेत्र में ओलंपिक पदक पाने वाली भारतीय महिला हैं। साक्षी की इस जीत ने तमाम महिला रेसलर खिलाड़ियों को प्रेरित किया है। आज के
इस लेख में हम आपको साक्षी मलिक के जीवन और उनके संघर्षों के बारे में बताएंगे।

भारत की जानी मानी स्पोर्ट स्टार हैं। जिनके बारे में सभी लगभग सभी जानते हैं। सक्षी का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक में हुआ। उनके पिता श्री सुखबीर मलिक डीटीसी में बस कंडक्टर हैं और उनकी माता श्रीमती सुदेश
मलिक एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। जाटों के परिवार से आने वाली साक्षी बचपन से ही पहलवानी में दिलचस्पी रखती थीं, यही वजह थी कि उन्होंने इसे ही बतौर करियर चुना।



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