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#विजयदान देथा 'बिज्ज़ी' की कहानी-दूरी || A Story by Vijaydan Detha Bijji
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हिन्दी कहानी
#स्वर सीमा सिंह


लोक कथाओं के जादूगर

विजयदान देथा: राजस्थान के घर-घर में सुनाई जाती है इनकी कहानी।
A great Rajasthani writer who missed the Nobel, forever

Vijaydan Detha, who passed away on November 10, used to write stories inspired by folk tales and soon his stories too became like folk tales due to their simplicity and shocking exposure of power.

विजयदान देथा जिन्हें बिज्जी के नाम से भी जाना है राजस्थान के विख्यात लेखक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति
थे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और साहित्य चुडामणी पुरस्कार जैसे विभिन्न अन्य पुरस्कारों से भी समानित किया जा
चुका था।अपनी मातृ भाषा राजस्थानी के समादर के लिए 'बिज्जी' ने कभी अन्य किसी भाषा में नहीं लिखा, अधिकतर उनकी रचनाओं के अनुवाद का कार्य उनके एक पुत्र कैलाश कबीरद्वारा हिन्दी में अनुवादित किया।

जोधपुर से तकरीबन 100 किमी दूर एक कस्बेनुमा छोटे-से गांव बोरूंदा में विजयदान देथा ने अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी. लोग उन्हें प्यार से बिज्जी कहते थे. - चार साल की उम्र में पिता को खो देने वाले बिज्जी ने न कभी अपना गांव छोड़ा, न अपनी भाषा. ताउम्र राजस्थानी में लिखते रहे और लिखने के सिवा कोई और काम नहीं किया।


विजयदान देथा
कल्पना, कल्लोल कल्पना ही इंसान को बचाएगी. नींद में भी, उसके पार भी. विजयदान देथा उर्फ बिज्जी की कहानियां हमारी संजीवनी बूटी हैं.

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